मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 20 अप्रैल 2015

पाक सीमा पर चौकसी

                                      गृह मंत्रालय ने पाकिस्तान की तरफ से लगातार होने वाली घुसपैठों और सीमा पर समाज विरोधी तत्वों और अपराधियों के सांठगांठ से अशांति फ़ैलाने के प्रयासों को रोकने के लिए जिस तरह से सुरक्षा का दूसरा घेरा बनाने पर विचार कर सैद्धांतिक रूप से अपनी सहमति जता दी है वह निश्चित तौर पर भविष्य में पाक की तरफ से होने वाली घुसपैठ को कम करने में बहुत सहायक साबित होने वाली है. अस्सी के दशक में अशांत पंजाब में पाक के दखल को रोकने के लिए जिस तरह से सरकार ने सीमा पर कांटेदार बाड़ लगाने के काम पर विचार कर उसे शुरू किया था उसके बहुत ही अच्छे परिणाम सामने आये उसके बाद ही इस बात पर विचार करते हुए इसे जम्मू कश्मीर की अंतर्राष्ट्रीय सीमा और वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ ही राजस्थान और गुजरात में इस प्रयोग को दोहराया गया. इस पूरी कवायद में जहाँ लम्बा समय और धन खर्च होना था उससे सबसे बड़ा लाभ यह भी हुआ कि सीमा पार से आतंकियों और भारत विरोधी गतिविधियों में लगे हुए लोगों के लिए अपने काम को अंजाम देना उतना आसान भी नहीं रह गया.
                      पाक के साथ लगती हुई जम्मू कश्मीर की पूरी सीमा सदैव ही सुरक्षा बलों और सरकार के लिए बड़ी चुनौती के रूप में लगातार सामने आती रही है हालाँकि बाड़ लगाने के बाद जिस स्तर पर घुसपैठ कम हुई वह वास्तव में अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि थी पर अब भी अन्दर तक आ जाने वाले इन असामाजिक तत्वों से निपटने के लिए सीमा सुरक्षा बल को बहुत सारी अन्य समस्याओं का सामना भी लगाता करना पड़ता है. सरकार ने जम्मू क्षेत्र में लगातार हुए दो हमलों के बाद इस स्थिति की समीक्षा करने के साथ ही यह देखा कि सीमा सुरक्षा बल अपने काम को सही तरीके से अंजाम देने में लगी हुई है पर उसे जिस तरह का समर्थन सीमा के अंदर के क्षेत्रों में मिलना चाहिए वह राज्य की पुलिस और सेना से नहीं मिल पाता है जिसके बाद ही यह तय किया गया है कि इस सीमा पर कश्मीर घाटी और लद्दाख को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण सड़क होने के चलते अब इसकी समुचित सुरक्षा के बारे में फिर से विचार किया जाये. अब सरकार ने यहाँ पर सीमा पर रहने वाले पहले घेरे के अलावा जम्मू कश्मीर पुलिस और सेना की मिली जुली व्यवस्था से इस दूसरे घेरे को संचालित करने का काम प्रस्तावित किया है.
                       अपने आप में यह एक आदर्श स्थिति ही होने वाली है जब सीमा के नज़दीक इस तरह से दोहरा सुरक्षा चक्र उपलब्ध हो जायेगा क्योंकि इससे जहाँ किसी भी तरह से सीमा में घुस आये लोगों पर प्रभावी नियंत्रण करने में मदद मिलेगी वहीं सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ने के साथ आम लोगों के लिए बेहतर स्थितियों को बनाया जा सकेगा. सीमा पर किसी भी तरह के नए प्रयोग से जहाँ आने वाले समय की चुनौतियों से निपटने में मदद मिलने वाली है वहीं सरकार के लिए इन क्षेत्रों में आतंकियों की घुसपैठ को पूरी तरह नियंत्रित किये जाने में और भी प्रभावी सफलता मिल सकती है. बेहतर हो कि इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की भी नागरिक सुरक्षा समितियों में भागीदारी करवाई जाये क्योंकि एक समय में कश्मीर क्षेत्र में ग्रामीण सुरक्षा समितियों ने प्रभावी ढंग से काम करते हुए पूरे परिदृश्य को बदलने का काम किया था. इससे जहाँ आम लोगों का स्थानीय सुरक्षा से सीधा जुड़ाव हो जायेगा वहीं उनको सीमा पार से आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए पहले से ही तैयार किया जा सकेगा अब यह समय की मांग हो चुकी है कि हर तरह से सीमा के इस पूरे परिदृश्य को बदलने के लिए सही तरह से किये जाने वाले इन प्रयासों पर केंद्र सरकार पूरी तरह से आगे बढ़ने के बारे में सोचे.       
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