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बुधवार, 8 अक्तूबर 2008

शहादत का मज़ाक

आजकल जिस तरह से एक शहीद पुलिसकर्मी के बारे में राजनेता बातें कर रहे हैं देश के लिए इस से शर्मनाक और कुछ नहीं हो सकता. क्या होता जा रहा है इस देश की राजनीति को जो आए दिन ऐसी घटिया मानसिकता को प्रर्दशित करती है. क्या किसी ने यह भी सोचा की शर्माजी की बच्ची पर क्या गुज़र रही होगी यह सब सोचकर ? नेता तो वोट के लिए मरे जा रहे हैं उन्हें तो केवल वोट ही दिखाई देते हैं. इस देश में पुलिस जिस तरह इन घटिया नेताओ के दबाव में है उस से तो यह देश ठीक तरह से नहीं चल सकता है.. कोई नेता अब शर्माजी के घर जाने की हिम्मत रखता है. मेरा सिर शर्म से झुक जाता है यह सोचकर की मैं भी उस परिवार का अपराधी हूँ क्योंकि मैं इस देश में रहता हूँ और उन्होंने देश के लिए अपनी जान की बाज़ी लगा दी . हमने ऐसे नेता चुन रखे हैं जो शहीदों का सम्मान नहीं कर सकते. धिक्कार है ऐसी राजनीति को जो रसातल तक जा चुकी है.

1 टिप्पणी:

  1. वोट नोट सत्ता के खेल में नेता सब कुछ भूले हैं
    भले सलामत हाथ पैर सब किंतु ह्रदय से लूले हैं
    सुंदर आपका स्वागत् है
    मेरे ब्लॉग पर पधार कर कविता का आनद लें

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