सोमवार, 10 नवंबर 2008
क्रिकेट और चुनाव
भारत की जात के मायने तो हमेशा से ही अलग होते हैं वो भी विश्व की सबसे अच्छी टीम को हराने का सुख कुछ और ही होता है. इस ख़बर के बीच में एक ऐसी ख़बर छुप गई जिसे आगे होना चाहिए था. जम्मू कश्मीर के चुनाव में शबनम गनी लोन ने कुपवाडा से चुनाव लड़ने का फैसला किया है. सुश्री शबनम हुर्रियत नेता अब्दुल गनी लोन की बेटी हैं. उनके भाइयों ने चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है. शबनम जी आपका स्वागत है की आपने यह मान लिया की लोकतंत्र में वोट से ही कुछ कहा और सुना जाता है. कश्मीर समस्या कोई समस्या है ही नहीं ज़रा कोई पाकिस्तान के हिस्से के कश्मीर को जाकर देखे फिर यह कहे कि भारत ने यहाँ पर कुछ भी नहीं किया है ? कोई भी ज़मीन का टुकडा इस बात पर तो नहीं परखा जा सकता कि वहां पर कौन रहता है ? फिलस्तीन कि समस्या यही तो है कि अमेरिका ने दुनिया भर के यहूदियों को वहां पर लाकर बसा दिया अगर इस तरह से देखा जाए तो अफगानिस्तान से लेकर मलेशिया तक कभी हिंदू या बौद्ध धर्म का प्रसार रहा था तो क्या इस बात पर आज भी बखेडा करना उचित होगा ? लोकतंत्र में चुनाव से बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है इसका उदाहरण पाकिस्तान के चुनाव भी हैं जिनमे मुशर्रफ को एक झटके में ही बाहर का रास्ता दिखा दिया.
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें