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मंगलवार, 18 नवंबर 2008

फिर से बाड़ ने खेत को चरा .......

किसी समय एशिया के प्रसिद्द सीतापुर आँख अस्पताल को आज ये दिन देखने पड़ रहे हैं कि किसी ख़राब दवा के कारण लगभग ९ लोगों को आपरेशन के बाद अपनी रौशनी से हाथ धोना पड़ा. सरकारी प्राथमिकताओं में ये संस्थान कितना पीछे हैं इस एक घटना से ही पता चल जाता है. डा0 मेहेरे की आत्मा को आज कितना कष्ट होगा की जिस अस्पताल के लिए उन्होंने अपने जीवन लगा दिया वो आज किस स्तर तक गिर गया है ? कुछ साल पहले सुनने में आया था की चेन्नई के शंकर नेत्रालय ने संस्थान को अधिग्रहीत करने का प्रस्ताव सरकार को दिया था पर नेता तो चेन्नई जा कर भी आँख दिखा सकते हैं बेचारी जनता ही है जो अपने कर्मों पर रोती रहती है. कुछ जांचें होंगी समिति बनाई जायेगी पर जिनकी रौशनी चली गई वे ऐसे ही इस दुनिया से चले जायेंगे. आख़िर उनकी क्या गलती थी ? क्या यह कि वे सभी एशिया के प्रसिद्द अस्पताल में आँख का आपरेशन करना चाहते थे ? आख़िर कब तक मात्र समितियां बनाकर सरकारें अपना पिंड छुडाती रहेंगी ? कब तक निर्दोष लोग भागलपुर, अलीगढ़, सीतापुर की सूची में जुड़ते रहेंगे ? कब तक और आखिर कब तक..........??

1 टिप्पणी:

  1. Ap chikitsak hain...voh bhi chikitsak the jinhone ankho ka operation kiya....ap zimmedari le rahe hain..voh zimmedari se bhag rahe hain...ab is desh me baarh hi khet ko charti hai...phir bhi khet per baarh bandhti hai...!!
    naveen k

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