मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 18 अगस्त 2009

उत्तर प्रदेश या घोटाला प्रदेश ?

आज कल उत्तर प्रदेश में गरीबों से जुडी हर परियोजना जिस तरह से लूटी जा रही है उसका भंडा फोड़ सीतापुर जनपद से हुआ । लखनऊ में बैठकर केवल बातें करने और घुड़की देने से अगर तंत्र सुधरता होता तो शायद प्रदेश सबसे अच्छा होता। इतने बड़े स्तर पर घोटाले होते रहे और जनपद तथा राज्य के स्तर का प्रशासन सोता ही रहा यह बात आसानी से गले नहीं उतरती है। नरेगा और वृद्धावस्था पेंशन में जितनी बड़ी मात्रा में भ्रष्टाचार फैलाया गया है उसे देख कर तो यह समझ ही नहीं आता की आख़िर लोग करना क्या चाहते हैं ? देश में बहुत सारी योजनायें केवल गरीबों के लिए ही चलायी जा रही हैं परन्तु उनका हिस्सा किसकी जेब में जा रहा है इसको देखने के लिए अभी तक कोई तंत्र विकसित नहीं किया जा सका है जिसके चलते हम इन योजनाओं की निगरानी नहीं कर पाते हैं । देश में सबसे घातक गठजोड़ आज के समय में नेता और अधिकारी के बीच का है। परिवार वाद की राजनीति ने इस में घी का काम किया है क्योंकि जब सारे पद एक दो परिवारों के बीच में ही सिमट जाते हैं तो उनके खिलाफ
अधिकारी भी कुछ करना नहीं चाहते। गांवों से शहरों तक नज़र दौड़ाने पर यही पता चलता है कि एक घर में कई स्तर के निर्वाचित प्रतिनिधि हैं और जो कार्य कई लोग मिलकर कर सकते थे वो कुछ चंद हाथों में सिमट गया है। उदाहरण के तौर पर विधायक-सांसद पति-पत्नी के बहुत सारे उदाहरण मौजूद हैं जिसमें सारा दारोमदार पति ही सँभालते हैं और अपने अहम् की संतुष्टि के लिए ये लोग घर पर दरबार लगाकर बैठते हैं जहाँ पर केवल चाटुकारिता ही हावी रहती है। यदि ऐसे दो काम एक व्यक्ति ही कर सकता तो संविधान में इतने स्तर पर लोकतान्त्रिक प्रणाली की बात ही नहीं की जाती। इसका मतलब यह नहीं कि कोई भी काम नहीं होते बहुत सारे जनप्रतिनिधि ऐसे भी हैं जो अपने संसाधनों औए सरकारी योजनाओं के कारण ही क्षेत्र में बहुत लोकप्रिय हैं और बिना किसी जातीय/ धार्मिक आधार के बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। अच्छा हो कि जांच सी बी आई से करायी जाए जिससे यह पता चल सके कि इस तरह की घटनाओं में क्या कारक मुख्य हैं ? आगे इस तरह के भ्रष्टाचार को रोकने के लिए तभी कुछ ठोस कदम उठाये जा सकेंगें.
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