मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 1 अप्रैल 2010

अनिवार्य शिक्षा कानून...

आज से देश में एक नए युग का सूत्रपात होने जा रहा है क्योंकि आज से ही देश में शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने जा रहा है. यह सही है कि देश ने पिछले कुछ वर्षों में निश्चित तौर पर साक्षरता दर बढ़ाने में बहुत प्रगति की है पर जिस स्तर पर इसको लागू किया जाना चाहिए वह अभी तक नहीं हो पाया था. देश में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए इस तरह के कानून की बहुत बड़ी आवश्यकता थी. अब बात चाहे कुछ हो सूचना अधिकार, गारंटी योजना के बाद यह एक ऐसा कानून है कि यदि इसको सही ढंग से लागू कर दिया जाये तो देश में आने वाले वर्षों में शिक्षा का स्तर तो सुधर ही जाएगा साथ ही प्रतिभा का जो विस्फोट होगा उसकी देश बहुत दिनों से प्रतीक्षा कर रहा है. सबसे बड़ी बात जो होनी चाहिए कि इस तरह की देश से जुड़ी किसी भी योजना में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए बहुत कड़ी सजा देने का प्रावधान करना चाहिए.
आज देश में प्राथमिक शिक्षा की जो स्थिति है वह किसी से भी छिपी नहीं है. सरकार अच्छे विद्यालय खोलने में संसाधनों की कमी का रोना रोती रहती हैं तो दूसरी तरफ निजी क्षेत्र के लोगों को विद्यालय खोलने के नाम पर इतना कुछ करने को कह दिया जाता है कि उसको पूरा करने के स्थान पर वे घूसखोरी से काम चलाते हैं. हर जिले में शिक्षा का काम केवल अधिकारिओं के हाथों में ही नहीं रहना चाहिए. हर जगह सेवानिवृत्त शिक्षकों जिनका पुराना रिकार्ड अच्छा रहा हो, कुछ सरकारी कर्मचारी और न्यायविदों की एक समिति होनी चाहिए जो शिक्षा से जुड़े मामलों पर विचार करे और मान्यता आदि देने से सम्बंधित किसी भी मामले में संस्तुति करने का अधिकार केवल इस समिति के पास ही हो. इस प्रयास से जहाँ देश अपनी भावी पीढ़ी को तैयार करने में सीधे तौर पर बुजुर्गों को जोड़ सकेगा वहीं सारा कुछ ठीक करने के प्रयास में बाकी बिगड़ नहीं जायेगा. आज सरकारी कार्यालयों में काम का बहुत दबाव है जो किसी ना किसी रूप में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का काम भी करता है.
फिलहाल तो इस कानून के चलते हम अपने देश को किसी सपनों के देश में बदल सकते हैं पर कौन इस स्तर पर इतना करने का इच्छुक है ? सरकार को कुछ और बातों में खुला पन लाना होगा तथा कानून बनाकर भूलने के स्थान पर उनकी फ़िक्र भी करनी होगी.    

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

1 टिप्पणी:

  1. चलिए कानून तो लागू हुआ। इस का प्रवर्तन कितना और कब हो पाता है यही देखना है।

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