मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 23 अगस्त 2010

दलाई लामा और चीन

हमेशा की तरह चीन ने अपने दलाई लामा विरोध को जारी रखते हुए ११ अगस्त को उनकी मनमोहन सिंह से मुलाक़ात पर औपचारिक आपत्ति जताई है. चीन ने अपने राजनयिकों के माध्यम से यह बात भारत सरकार तक पहुंचाई जिसके जवाब में भारत सरकार की तरफ़ से चीन को यह फिर से साफ़ कर दिया गया है कि दलाई लामा भारत में सम्मान प्राप्त व्यक्ति हैं और वे पूरे देश में कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र हैं. इससे पहले इसे तरह का बयान चीन ने निर्वासित धार्मिक नेता की अरुणाचल यात्रा के दौरान दिया गया था तब प्रधानमंत्री ने स्वयं ही इस विवाद पर यह कह कर मिट्टी डाल दी थी कि वे भारत के मेहमान हैं और उन्हें पूरी आज़ादी से देश में कहीं भी आने- जाने की पूरी छूट है. वे किसी भी तरह की राजनैतिक गतिविधि में कभी भी शामिल नहीं रहे हैं जो उनको भारत में शरण देते समय कही गयी थी तो उनको कहीं भी आने जाने से नहीं रोका जा सकता है. 
         सवाल यह उठता है कि क्या अब आने वाले समय में चीन इतना शक्तिशाली होने जा रहा है कि वह किसी भी देश से यह कहने लगेगा कि किस से मिलो और किस से नहीं ? आज के समय में चीन की आर्थिक प्रगति भी उसको इस तरह के बोल बोलने के लिए उकसाती रहती है ? आने वाले समय में चीन पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बन सकता है ? अगर समय रहते इन सभी मामलों का तोड़ नहीं ढूँढा गया तो चीन को मनमानी करने से कोई रोक नहीं पायेगा. १९६५ की चीन से लड़ाई में हमारी हार सिर्फ इसलिए हो गयी थी क्योंकि हम चीन से लड़ने के लिए मानसिक रूप से ही तैयार नहीं थे ? पर आज स्थिति विपरीत है भारत ने इतने समय में अपनी प्रगति से पूरे विश्व को सम्मोहित कर रखा है साथ ही वर्तमान केंद्र सरकार ने देश के उत्तरी और पूर्वोत्तर में सीमा पर सड़कों का जाल बिछाने की योजना पर काफी तेज़ी से काम करना शुरू भी कर दिया है. अच्छा हो कि इस दुर्गम इलाके में पूरी तरह से आवागमन को सुलभ बनाया जाए जिससे पहले की तरह आवश्यकता पड़ने पर हम केवल हाथ मलने के स्थान पर दुश्मन को क़रारा जवाब भी दे सकें ?
                 अब विश्व में इस तरह की खुली जंग के लिए बहुत कम स्थान बचा है क्योंकि सभी देशों के हित आज एक दुसरे से जुड़ चुके हैं और कोई भी देश ख़ुद अपने हितों पर चोट नहीं चाहेगा. पर चीन के मामले में स्थिति बिलकुल उलट है और वह किसी भी समय कोई भी पैंतरेबाज़ी कर सकता है. भारत के बाज़ार से उसे पूरी दुनिया में जिस तरह की कड़ी टक्कर मिल रही है उस से उसके आर्थिक हितों को आघात तो पहुँच ही रहा है तो कभी ऐसा भी हो सकता है कि वह अपने को बाज़ार में फिर से स्थापित करने केलिए भारत पर हमला ही कर दे ? चीन से लगती सीमा पर हमें पूरी तरह से तैयार रहना होगा, और केवल चीन ही नहीं अपने मित्र देशों नेपाल और भूटान की  तरफ भी सीमा पर पूरी चौकसी की आवश्यकता है क्योंकि कोई भी देश विरोधी तत्व इन मार्गों का प्रयोग करके आसानी से भारत में आ सकते हैं. अब समय हैं कि इन सभी बातों पर भी ध्यान दिया जाये और चीन की हर बात पर उसे सही ढंग से पूरा और सटीक जवाब भी दिया जाये. 
     

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1 टिप्पणी:

  1. बहुत सटीक टिप्पड़ी की है आपने चीन कितना ही बड़ा क्यों न हो जाये पर उसका छोटा पं नहीं जा रहा .
    वास्तव में बामपंथी तो संकी होते है वे आपने अलावा किसी की नहीं सुनते .
    लत क़े देवता बात से नहीं मानते.

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