मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 16 मई 2012

४० हज़ार करोड़ ?

       यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पिछली माया सरकार द्वारा किये गए घोटालों की अनुमानित राशि लगभग ४० हज़ार करोड़ रूपये बता कर सभी को हैरत में डाल दिया है. अभी तक दबी ज़बान से सभी इस बात को तो मानते आ रहे थे कि सरकार जिस तरह से तानाशाही रवैये के साथ चलायी गयी और देश के संविधान के साथ खिलवाड़ किया गया उसमें किसी की ज़िम्मेदारी बनती नहीं दिखाई देती है. इस मसले पर अखिलेश ने एक जांच आयोग बनाने की बात भी कही है जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि वास्तव में यह घोटाला इतना बड़ा है कि इससे छोटे स्तर पर निपटना बहुत मुश्किल है ? माया सरकार जो हमेशा ही डॉ आंबेडकर की क़समें खाती रहती थी उसने उनकी अध्यक्षता में बनाये गए संविधान का जिस तरह से मज़ाक उड़ाया वैसी मिसाल पूरे देश में कहीं नहीं मिलने वाली है. संविधान द्वारा निर्धारित किये गए आधिकारिक स्वरुप कि दरकिनार करके माया ने जिस तरह से शशांक शेखर को प्रदेश का सबसे बड़ा और प्रभावशाली बाबू बना दिया उसने भी प्रदेश का बहुत बड़ा कबाड़ा किया क्योंकि उस पद का कोई महत्त्व नहीं था और वह केवल प्रदेश की नौकरशाही को नीचा दिखाने का एकमात्र साधन ही था.
      प्रदेश में जिस तरह से सारे काम बिना किसी पूर्व योजना के किये गए उससे यही लगता है कि सरकार के पास सही दिशा में सोचने की क्षमता ही नहीं थी जिससे सरकार के कुछ चहेते मंत्रियों, अधिकारियों और ठेकेदारों ने जमकर फ़ायदा उठाया. इस मसले पर किसी के भी बोलने पर उसे दलित विरोधी और मनुवादी कहा गया जबकि इस तरह के भ्रष्टाचार का दलितों से कोई मतलब ही नहीं था. क्या बसपा या माया के पास इस बात का कोई जवाब है कि जिस तरह से मनमानी करके सरकारी भवनों को गिराया गया और केवल अहम् की संतुष्टि के लिए बिना सोचे समझे कुछ भी खरीदा गया उससे दलितों का क्या भला हुआ ? महापुरुषों के नाम पर जिस तरह से जनता के धन की लूट मचाई गयी उसे किस तरह से सही साबित किया जा सकता है ? देश के महापुरुषों के नाम पर संस्थान या पार्कों के नाम हमेशा से ही होते चले आये हैं इसमें कोई नयी बात नहीं है पर इन महापुरुषों के नाम पर जिस तरह से धन का दुरूपयोग किया गया उसे कैसे उचित ठहराया जा सकता है ?
      हो सकता है कि जो आंकड़ा अखिलेश प्रस्तुत कर रहे हैं वह केवल अनुमानित ही हो पर जिस स्तर पर अनियमितताएं की गयी हैं उसकी लिए किसी को जवाबदेह तो होना ही पड़ेगा क्योंकि जब तक इस तरह के मसलों से पूरी संजीदगी से नहीं निपटा जायेगा तब तक कुछ भी ठोस नहीं हो पायेगा. अच्छा हो कि इस मामले में जल्द ही एक जांच आयोग का गठन कर दिया जाये जो कि सभी विभागों की जानकारियों और बजट के बारे में पूरी जांच करके अपनी रिपोर्ट तैयार करे क्योंकि केवल एक विभाग में ऐसा हुआ हो यह भी नहीं लगता है. अखिलेश को भी केवल आरोप लगाने से आगे बढ़कर इस मसले पर कुछ करना चाहिए साथ ही सबसे पहले लोकायुक्त के यहाँ से जिन नेताओं के ख़िलाफ़ कार्यवाही करने की संस्तुति की गयी है उनको जांच के दायरे से निकल कर सज़ा दिलाने की तरफ ले जाना चाहिए जिससे आने वाले समय में इस तरह के घोटालों का जल्दी से खुलासा हो सके और साथ ही दोषियों को सज़ा भी दिलवाई जा सके.    
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

1 टिप्पणी:

  1. sir ji agar mayawti ne itna khaya hoga.to mulayam raj me iska 5 guna khaya gaya hoga,maayawati to kuch vikash bhi karati hai
    mulayam to ek number ke chor hai

    http://blondmedia.blogspot.in/

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