मंगलवार, 20 जनवरी 2009
तेल का खेल...
आज सभी इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि सरकार तेल की कीमतें आख़िर कब कम करेगी ? सरकार कहती है कि मिट्टी के तेल की कीमतों से आज भी घाटा हो रहा है इसलिए कुछ दिनों तक और प्रतीक्षा की जा रही है. एक विचार यह भी है कि इन कीमतों को सीधे अन्तर्राष्ट्रीय मूल्यों से जोड़ दिया जाए अगर मंहगा मिले तो वैसा बीके और सस्ता तो वैसा. पर इन सभी विचारों के बीच में कोई यह क्यों नहीं सोचता कि इस देश में सबसे अधिक दुरूपयोग मिट्टी के तेल का ही हो रहा है. क्या हमारे दिलों से मंजूनाथ धुंधले हो गए है ? शायद कुछ लोग यह भी पूछ लें कि ये कौन थे. वे देश के सच्चे सिपाही थे जिन्होंने देश के अन्दर के गद्दारों से निपटने में अपनी जान गवां दी उन्हें कोई वीर चक्र नहीं मिला पर उनके घर वालों से कोई नेता यह भी नहीं जानना चाहता कि जवान बेटा खोने के बाद दुनिया अब कैसी चल रही है ? अगर सरकार गरीबों के लिए मिट्टी का तेल देती है तो किन गरीबों को यह मिल रहा है अगर आप में से कोई जानता हो तो अवश्य बताएं क्योंकि मेरी इच्छा है कि उन लोगों के दर्शन कर लिए जाए जो विपरीत हालात में भी सच के साथ हैं. आज भी भारत का गरीब अपनी गरीबी पर रोता है और ये नेता अपनी रोटी सेंकने से बाज़ नहीं आते हैं। आइये हम सभी देखें की अपने आस-पास क्या कुछ ठीक किया जा सकता है ? क्या आप में है वो दम ?
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