मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 23 जुलाई 2009

कलाम सर हम शर्मिंदा हैं...

देश में जिस तरह से अमेरिकी विमानन कम्पनी हमारे पूर्व राष्ट्रपति डा० कलाम का अपमान किया वह बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण है। एक साधारण सी विमान कम्पनी जब हमारे देश में ही इस तरह की हरकत कर सकती है तो सारी दुनिया में अमेरिका के गर्दन अकडाने वाले रवैय्ये के बारे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। यह तो कलाम साहब की सज्जनता ही थी की अभी तक किसी को इस बात का पता नहीं चला। वे बहुत ही सरल व्यक्ति हैं इसलिए उन्होंने इस बात के लिए कहीं भी शिकायत शायद ही की होगी ? उन्होंने एक जिम्मेदार नागरिक होने के कर्तव्य को अपने प्रोटोकाल से ऊपर रख कर ही ऐसा किया होगा। अपने कार्यकाल में उन्होंने बहुत बार बेकार के आवरणों को उतार फेंकने में कोई संकोच नहीं किया उनके लिए मानवता का महत्त्व अधिक है न कि किसी छद्म आवरण का। यह घटना इस बात के लिए तो हमारे कानून की लाचारी ही दर्शाती है कि किसी ने भी इस बात को संज्ञान में नहीं लिया। जब हमारे गौरव अपने देश में ही इस तरह के व्यवहार से गुज़रते रहेंगें तो दूसरे देश में किस तरह से उनका और देश का सम्मान हो सकेगा यह सोचने का विषय है। अनावश्यक रूप से किसी को इस तरह से अभद्र व्यवहार कहाँ तक अच्छा लग सकता है ? इस बात को मुस्लिम चश्में से देखने की कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि अमेरिका और पश्चिमी देशों को लगता है कि इस तरह से वे अपने को सुरक्षित रख सकेंगें ? जार्ज फर्नांडिस और प्रणब मुखर्जी के साथ भी लगभग कुछ इस तरह का व्यवहार किया जा चुका है, सोमनाथ चटर्जी ने तो इसी तलाशी के कारण अपनी ऑस्ट्रेलिया यात्रा को रद्द कर सीधे ही फिजी पहुँचने का कार्यक्रम बनाया था।
फिल हाल यह मामला संसद में उठ जाने के कारण प्रकाश में आ गया है और अब आवश्यकता है कि सभी विदेशी कंपनियों को यह हिन्दी में ही समझा दिया जाए कि इस तरह की हरकत दोबारा होने पर उनके परिचालन पर बुरा असर पड़ सकता है। यह तो कम्पनी की किस्मत अच्छी थी अगर वे किसी तेज़ स्वभाव वाले माननीय के हाथों फंसे होते तो उनको भी अपनी नानी याद आ गयी होती। फिलहाल हम अपने गौरव डा० कलाम के साथ हुए व्यवहार के लिए शर्मिंदा हैं क्योंकि वे मात्र पूर्व राष्ट्रपति नहीं हैं वे तो भारत की आत्मा में बसते हैं....
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

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