मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 5 अगस्त 2010

जिस तरह से राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी के बारे में निरंतर ही भ्रष्टाचार की बातें सामने आ रही हैं उनको देखते हुए जल्दी ही सरकार को इस मामले में दखल देकर सारी बातें साफ़ करने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने ही होंगे. आज के समय में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. यह सही है की देश में भ्रष्टाचार का स्तर इतना बढ़ चुका है कि कुछ लोग देश की प्रतिष्ठा के बारे में भी नहीं सोचते हैं. बहुत प्रयासों के बाद क्रिकेट को छोड़कर देश में इतना बड़ा आयोजन होने जा रहा है और साथ ही इस बात की भी सम्भावना बन रही थी कि जल्द ही एशियाई खेल और फिर ओलंपिक का भी सफल आयोजन कराने में देश सक्षम हो सकेगा पर खेलों की तैयारी में जो कुछ भी हो रहा है वह निश्चित तौर पर बहुत बुरा है.
           आज विपक्ष एकदम से चिल्लाने लगा है उससे उसकी मंशा का पता चलता है जब संसद का सत्र चल रहा है तो सरकार को वहीं पर घेरने का प्रयास होना चाहिए. आज सूचना के अधिकार के तहत सारी जानकारी आयोजन समिति से मांगी जा सकती है फिर सारा काम लगभग पूरा होने और खेलों के इतने नज़दीक आ जाने पर इस तरह के आरोप लगाना किस हद तक सही कहा जा सकता है ? यदि विपक्ष को इस सारी प्रक्रिया में कुछ गड़बड़ी दिख रही थी तो उसे पहले ही इस बारे में ध्यान देना चाहिए था पर भ्रष्टाचार होने के बारे में पता होने पर भी विपक्ष ने पहले इस बारे में सरकार को नहीं घेरा और अब पूरी दुनिया के सामने देश की छवि ख़राब करने के पूरे प्रयास किये जा रहे हैं ? वैसे विपक्ष को इस बात के लिए धन्यवाद देना ही होगा कि उसने सारे मामले में कुछ खोज निकाला वर्ना अभी तक इसमें सारा कुछ बहुत ठीक ही लग रहा था.
               किसी भी बड़े आयोजन पर बहुत पैसा लगता है पर आज तक देश में अपने आप काम करने वाला कोई तंत्र विकसित नहीं किया जा सका है जो पूरी तरह से किसी भी बड़े खर्चे कि अपने आप किसी भी स्तर पर निगरानी करने के लिए स्वतंत्र हो ? आज देश की साख बचाने के लिए हमें कुछ अलग तो करना ही होगा. देश के सेवा निवृत्त न्यायाधीशों की एक समिति होने चाहिए जो किसी भी बड़े आर्थिक आयोजन से जुड़े किसी भी मामले में जांच कर सकने के लिए स्वतंत्र हो और ऐसी ही कुछ व्यवस्था राज्यों के स्तर पर भी होनी चाहिए. आज हर मामले में वोट पक्के करने की होड़ सी मच जाती है भले ही उससे कितना भी नुकसान हो जाये ? बसपा ने तो यह भी कहा कि दलित कल्याण के लिए आये पैसे को दिल्ली सरकार ने खेलों में झोंक दिया ? कहने से पहले बसपा के लोग यह भूल गए कि प्रदेश में आये पूरे पैसों को मायावती के हाथी और पार्क खाए जा रहे हैं फिर वे किस मुंह से आरोप लगा रहे हैं ?
          अच्छा हो कि भ्रष्टाचार के लिए जांच हो और दोषियों को सजा दी जाये. आयोजन समिति के अध्यक्ष कलमाड़ी ने जांच करवाने के लिए तैयार होने की बात कह कर मामले को शांत करने का प्रयास किया है फिर भी सही जांच होनी चाहिए और एक बात कि देश को नेताओं पर भरोसा नहीं रह गया है इसलिए संसदीय समिति बनाने की देश को कोई आवश्यकता नहीं है यह काम तो कोई भी न्यायाधीश कर सकते हैं फिर देश पर इतना बोझ और क्यों डालना ?


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