मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 24 नवंबर 2010

पश्चिमी उ० प्र० में उच्च न्यायालय पीठ ?

राज्यसभा में मोहन सिंह के एक सवाल के जवाब में कानून मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने यह स्पष्ट किया की वर्तमान में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की पीठ स्थापित करने के कोई भी प्रस्ताव केंद्र सर्कार के पास नहीं है. इस बात से यह सवाल उठता है कि सर्वाधिक आबादी वाले प्रदेश की जाता को आखिर कब तक हर मामले के लिए इलाहाबाद के चक्कर लगाने पड़ेंगें ? और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बारे में यह स्थिति और भी विकत हो जाती है क्योंकि वहां से इलाहाबाद तक जाने में ही १२ से १६ घंटे लग जाते हैं ? एक तरफ प्रदेश की माया सरकार छोटे राज्यों की वकालत करती है तो दूसरी तरफ उसे इस बात की कोई भी परवाह नहीं है कि आखिर इन छोटे छोटे निर्णयों से लोगों को कितनी आसानी हो सकती है ?
      केंद्रसरकार नेइस मामले में केवल अपनी स्थिति स्पस्ट की है और उसे कानून केहिसाब से राज्य के मामलों में अनावश्यक दखल देने का अधिकार भी नहीं मिला हुआ है पर मात्र इतने से ही समस्या से पीछा तो नहीं छोट रहा है ? अच्छा हो कि केंद्रीयविधि मंत्रालय पूरे देश में इस तरह की मांग पर नहीं वरन आवश्यकताओं परएक सर्वे कराये और उसके बाद ही कोई निर्णय करे. जब एक सही रिपोर्ट सामने होगी तो उस पर विचार करना भी आसान हो जायेगा और लोगों तक सही और त्वरित न्याय भी पहुँच सकेगा. जहां तक केवल उत्तर प्रदेश की बात है तो यह मांग बहुत ही तर्क सांगत है और इस बारे में कोई भी प्रताव विधिपूर्वक आने पर बिना विलम्ब किये उच्च न्यायलय की एक पीठ स्थापित की जानी चहिये.
         यहाँ पर यह भी महत्वपूर्ण है कि हो सकता है कि इलाहाबाद के अधिवक्ताओं द्वारा इसका कड़ा विरोध भी किया जाए पर इस सारे मामले को केवल उनके नज़रिएसे देखा जाना महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सारी जनता के नज़रिए से इसे देखना बहुत आवश्यक है. आज देश में बहुत सारे ऐसे काम हैं जो केवल थोड़ी संवेदन शीलता के साथ किये जा सकते हैं 

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