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शुक्रवार, 18 नवंबर 2016

विमुद्रीकरण और जन सुविधा

                                   केंद्र सरकार के विमुद्रीकरण के फैसले के बाद जिस बात की आशंका जताई जा रही थी आज वह पूरी तरह से सही साबित होती दिखाई दे रही है क्योंकि एक बहुत अच्छा फैसला जिस तरह से बैंकिंग तंत्र की पूरी तरह से तैयार किये बिना ही लागू कर दिया उससे जहाँ आम लोगों को बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है वहीं विभिन्न तरीकों से काले धन को रखने वाले एक बार फिर से नए नए तरीकों से अपने धन के कुछ हिस्से को सुरक्षित करने की जुगत में सफल होते भी दिखाई दे रहे हैं. इस पूरी कवायद में जहाँ सरकार और वित्त मंत्रालय की कमियां सामने आयी हैं वहीं अनावश्यक रूप से देश का वह आम आदमी परेशान हो रहा है जिसके पास अपनी गाढ़ी कमाई के कुछ बड़े नोट ही रखे हुए हैं. देश में अफवाह का तंत्र बहुत तेज़ी से काम करता है जिसके चलते आम लोगों में बहुत जल्दी ही घबराहट भी फैल जाती है. अच्छा होता कि वित्त मंत्रालय इस मामले में पीएम को पूरा ब्यौरा देता और इससे होने वाली परेशानियों से चरणबद्ध तरीके से निपटने का कारगर तरीका भी सुझाता तथा उस पर एक सधा हुआ प्रेंजेंटशन भी देता जिसका बाद उच्च स्तर पर विचार करके इसे लागू किया जाता पर पूरी प्रक्रिया में ऐसा लगता है कि पीएम को इन संभावित समस्याओं के बारे में बताया ही नहीं गया और उनके दबाव के चलते अधिकारयों की तरफ से हाँ कह दी गयी. अब भी समय नहीं गया है इसलिए जिन उपायों को दिल्ली में बैठकर लागू करने की कोशिश की जा रही है उसके बारे में सरकार को आम लोगों की समस्याओं को समझने के लिए एक पोर्टल शुरू करना चाहिए जिससे वास्तविक समस्याएं जनता के सुझाव के साथ सामने आ सकें. कुछ निम्न प्रयास करने से संभवतः स्थिति को बेहतर करने में मदद मिल सकती है....
१- सबसे पहले आकाशवाणी और दूरदर्शन के माध्यम से सभी से यह अपील रोज़ ही की जानी चाहिए कि आम लोग अपने धन के लिए चिंतित न हों क्योंकि उनके पास धन को बदलने के लिए पर्याप्त समय है.
२- जन-धन खाता धारकों को एक बार में उनकी पासबुक पर तारीख की मोहर लगाकर २ या ४ हज़ार रूपये देने की व्यवस्था बैंकों के अतिरिक्त अन्य स्थानों से करने के बारे में सोचना चाहिए.
३-  ग्रीन कार्ड धारक किसानों को सहकारी और ग्रामीण बैंकों से एक बार में ही चार हज़ार रूपये दिए जाएँ या फिर उनके लिए ड्राफ्ट बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाये जिससे वे अपने धन को ले जाकर खाद बीज आदि का प्रबंध कर सकें.
४- चुनिंदा पेट्रोल पम्प और गैस एजेंसियों पर मोबाइल एटीएम लगाकर जनता को धन निकासी का अवसर दिया जाना चाहिए जिससे बैंकों में भीड़ को कम किया जा सके.
५- बड़े निजी शिक्षण संस्थानों में भी प्रबंधन को छात्रों की संख्या के अनुरूप धन उपलब्ध कराया जाये जिससे छात्र अपने पहचान पत्र पर मोहर लगवाकर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बिना बैंक जाये ही धन प्राप्त कर सकें.
६- ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय सहकारी समितियों के माध्यम से भी लोगों के रूपये स्याही लगाने के बाद बदलने की व्यवस्था की जाए.
७- देशहित में उठाया गया यह बहुत बड़ा कदम है इसलिए हर व्यक्ति को अपने स्तर से इस समस्या से निपटने के लिए व्यवस्था में सहयोग करना चाहिए.
८- जिन लोगों के पास छोटे नोटों की नगदी उपलब्ध हो उनसे जमा लेने के लिए बैंकों में विशेष काउंटर लगाए जाने चाहिए जिससे वे नोटों की उपलब्धता को बढ़ाने में सहायता कर सकें.
९- बैंकों में क्षमता के अनुरूप रोज़ टोकन देने की व्यवस्था होनी चाहिए जिससे आम लोग रोज़ ही लाइन में लगकर धक्के खाने से बच सकें.
१०- जितना धन बैंकों में आ रहा है उसके अनुरूप ही वितरण को प्रभावी ढंग से लागू करना चाहिए जिससे वहां पर जमा हो रही अनावश्यक भीड़ से निपटने में बैंक, पुलिस और प्रशासन को आसानी हो. परेशान लोगों की भावनाओं को भड़काना आसान होता है इसलिए इस बात पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता भी है.
११- व्यापार को पटरी पर लाने के लिए व्यापारियों के लिए धन की उपलब्धता प्राथमिकता के आधार पर करने के हर संभव प्रयास करने चाहिए क्योंकि आर्थिक गतिविधियों के लगातार धीमी होते जाने से अंत में देश की प्रगति और विकास पर ही दुष्प्रभाव पड़ता है.
१२- यदि संभव हो तो आधार से पहचान को जोड़कर धन वितरण को प्रभावी बनाने की कोशिश करनी चाहिए भले ही यह पूरे देश में संभव न हो पर जिन जगहों पर यह किया जा सकता है वहां इस पर तुरंत निर्णय लेना चाहिए.
१३- शादी के घर वाले लोगों को पुलिस के माध्यम से सीधे मैनेजर से मिलने की छूट होनी चाहिए जिससे वह व्यक्ति भी सामान्य लाइन में पूरा दिन न ख़राब कर दे.
१४- बीमार लोगों को हज़ार या पांच सौ रुपयों के छपे हुए चेक या ड्राफ्ट प्राथमिकता पर दिए जाने के बारे में सोचना चाहिए जिससे वे अस्पतालों में इनके उपयोग से दवाएं और जांचों के खर्चों को पूरा कर सकें.
१५- सामान्य बैंकिंग के लिए स्टाफ की उपलब्धता के अनुसार व्यापारियों के कामों को प्राथमिकता से करने की कोशिश होनी चाहिए.
१६- दिसंबर में इनकम टैक्स की किस्तें जमा करने के लिए वैसे भी बैंकों में भीड़ होती है इसलिए उस बारे में अभी से नीति बनाकर उस समस्या से निपटने के प्रारूप पर भी सोचना चाहिए.                          
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