मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 17 सितंबर 2009

ज़िन्दगी

दिल खो गया है दिल का, या ये मेरी ख़ता है.
मेरे अजीज़ ख़ास, परेशान बहुत हैं..
उनके क़रीब होने से बदल जाती है दुनिया,
मेरी ज़िन्दगी के सच से वो अनजान बहुत हैं..
हों राहें कितनी मुश्किल या दुश्वार मंजिलें ,
वो हमसफ़र जो हों तो सब आसान बहुत है..
मैं बच गया हूँ कैसे इन तूफानी राहों में,
ये देख के सब लोग अब हैरान बहुत हैं..
वो और रहे होंगें जिन्हें नाम की थी चाह,
मेरे ख़ुदा के साथ मैं गुमनाम बहुत हूँ...


मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

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