कभी कभी राजनैतिक मंशाएं आम जन मानस की धार्मिक भावनाओं पर कितनी भारी पड़ जाती हैं इसका ताज़ा उदाहरण कल बसपा की लखनऊ रैली से पता चल जाता है. सीतापुर जनपद में स्थित नैमिष तीर्थ का अमावस्या स्नान का बहुत महत्त्व है पर इस बार विशेष सोमवती अमावस्या का स्नान ठीक १५ तारिख को पड़ने से वहां जाने वाले श्रद्धालु बहुत मुश्किल में पड़ गए हैं. सरकार ने अपनी रैली के लिए अपने प्रभाव का प्रयोग करके सारे छोटे बड़े वाहन कब्ज़े में कर लिए हैं जहाँ लखनऊ में १५ लाख लोगों के इकठ्ठा करने का इन्तेजाम किया जा रहा है वहीं नैमिष में बिना बुलाये ही लगभग ५ लाख लोग एकत्रित होते हैं.
सरकार ने पूरे लखनऊ में व्यवस्था सँभालने के लिए दुनिया भर की तैयारी की है और धार्मिक यात्रा पर आने वाले लोगों के लिए नैमिष तक जाने की कोई व्यवस्था छोड़ी ही नहीं है . ऐसे में वहाँ जाने वाले लोग किस तरह से अपने गंतव्य तक पहुँच पायेंगें इस बारे में कोई भी कुछ कहने को तैयार नहीं है . आज यही स्थिति हो गयी है कि नैमिष जाने वाले श्रद्धालु पूरी तरह से अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं. आज की सरकारें जन भावनाओं की किस तरह से अनदेखी कर सकती हैं यह उसका ताज़ा उदाहरण है. फिलहाल जनता के इस मूल अधिकार का हनन उनके द्वारा चुनी हुई सरकार द्वारा ही किया जा रहा है. नेताओं की राजनैतिक महत्वकांक्षाएं इतनी बढ़ जाती हैं की वे सदियों से चली आ रही इन परम्पराओं में शामिल होने वाले लोगों की इतनी अनदेखी कर देती हैं और किसी धर्म के नाम पर लोगों को उकसाने के लिए ऐसे मुद्दे बिना बात के ही सामने ला देती है जिनका चंद लोग फायदा उठाने से भी नहीं चूकते हैं.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
मुलायम सिंह ने सैफई में गरीब जनता के पैसे से हवाई अड्डा बनवा लिया अपने आने जाने के लिये. मायावती ने हाथी लगवा दिये और मूर्तियां बनवा दीं. कांग्रेस ने नेहरू-इंदिरा-राजीव के नाम पर न जाने अरबों रुपये बहा दिये. जनता बेवकूफ है और बनती रहेगी.
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