बुधवार, 28 जनवरी 2009
इमोसनल अत्याचार.....
एक गाना सुना "तेरा इमोसनल अत्याचार" वाह भाई वाह क्या लिख मारा है ..... इमोशन तो हमेशा से ही अत्याचारी होते हैं... इन इमोशनो के भरोसे न जाने कितने लुट गए और न जाने कितने अभी आगे भी लुटते रहेंगें. आब ज़रा हम इस बात को इस तरह से सोचें कि क्या होता है यह विशेष प्रकार का अत्याचार..अब यह कहा जाना तो ठीक नहीं होगा कि केवल प्रेम में ही लोग अत्याचार करते हैं आज के युग में कई तरह के अत्याचार दिखाई दे रहे हैं जैसे सत्यम के राजू ने अपने निवेशकों के साथ किया, कोई दलितों के नाम पर वोट मांग कर उनके साथ भी यही अत्याचार कर रहा है, कोई धर्म के नाम पर जिंदगी को झुठला कर नफरत फैला कर अत्याचार कर रहा है. कहीं किसी बेटे का बाप पर बुढापे में अत्याचार दिखाई देता है, तो कहीं पर कोई अपने पन के नाम पर यही अत्याचार कर रहा है. कहीं पर किसी बेटी को कोख में सिर्फ़ इसलिए मार दिया जाता है कि उससे परिवार का इमोशनल मामला पूरा नहीं होता और उस माँ को बेटी से छुटकारा पाने के लिए बाध्य करना भी क्या एक तरह का इमोसनल अत्याचार नहीं है ? हमारे नेता किस तरह से क्या क्या बता कर वोट तो ले लेते हैं फिर किस तरह से ठेके, विकास के नाम पर जनता से इमोसनल अत्याचार करते रहते है...साधुवाद है उस कवि को जिसने इस तरह के इमोसनल अत्याचार को इतनी आसानी से सामने लाकर रख दिया. पर क्या कोई अत्याचार इतना इमोसनल हो सकता है की वह मानवता को ही भूल जाए ? अब आप मेरे इस अत्याचार को भी सह ही रहे हैं अब क्या करें आप के पास भी कोई चारा भी तो नहीं है ?
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