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बुधवार, 4 मार्च 2009

क्रिकेट पर आतंक का हमला...

कल पाकिस्तान में जिस तरह से श्री लंका की टीम पर हमला हुआ क्या उसके बाद भी पाकिस्तान इस बात की आशा कर सकता है कि अब भी कोई टीम उसके यहाँ कोई भी खेल खेलने पहुँचेगी ? बात केवल हमले की नहीं होती है बात होती है विश्वसनीयता की और आज पाक इस को खो चुका है। क्या किसी को याद है कि एक बार विश्व कप में कुछ टीमों ने श्री लंका में खेलने से मना कर दिया था तो उस समय भारत-पाक ने वहां जा कर खेला था। उस समय श्री लंका की साख दांव पर थी उसने तो बचा ली थी पर कल पाक इसमें चूक गया। धन्यवाद है भारत सरकार को जिसने इस दौरे को रद्द कर दिया था वरना आज की स्थिति की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। ज़रा सोच कर देखिये कि भारत की टीम पर यह हमला होता तो इस देश ने किस तरह से प्रतिक्रिया दी होती ? संसद पर हमला तो देश ने झेल लिया था पर जिस देश में क्रिकेट के खिलाड़ी भगवन जैसा दर्जा रखते हो उस देश में सरकार पर पड़ने वाले दबाव को समझा जा सकता है। खैर जो कुछ नहीं हुआ उस पर सोचने का कोई लाभ नहीं , इस देश को मुंबई के बाद एक बहुत बड़ी समस्या से अनजाने में ही बचा लिया गया। आज यदि देशों को आतंक से लड़ना है तो मिलकर कुछ सोचना होगा आज केवल एक दूसरे पर कीचड उछालने से कुछ नहीं मिलने वाला है, पाक को सबसे अधिक सोचना होगा क्योंकि आज वो जिस राह पर है बहुत जल्दी ही विश्व में बहुत अलग थलग होने वाला है। अब भी यदि पाक नहीं चेता तो इसका असर उस पर ही सबसे अधिक होने वाला है। क्या कोई सोच भी रहा है इस तरह ? जब कोई व्यक्ति संस्थाओं में उलझ जाता है तो देश अक्सर ही ऐसे दोराहे पर पहुँच जाया करते हैं, फिर भी इस तरह की कोई भी घटना हमारे पास में होती है तो हम चुप होकर तो नहीं बैठ सकते अगर कल ज़रूरत हुई तो भारत को इन आतंकियों से दुनिया के किसी भी हिस्से में जाकर हमला करने की नीति तो बनानी ही होगी.

1 टिप्पणी:

  1. ye ghatna un desho kke liye tamacha hai jo pakistan ko antaki desh ghoshit karne se bach rahe hain...shayad unhe bhi aisi kisi ghatna se do-char hone ki ikcha hai...

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