आज कल चुनाव के मौसम में वो नेता किस तरह से आचार संहिता में फंसते जा रहे हैं यह बहुत ही चिंता का विषय है। हम जिन लोगों को देश चलने की ताकत देना चाहते हैं वो लोग कितने गैर जिम्मेदार हैं ? क्या इन लोगों को यह नहीं मालूम है कि देश कैसे चलाया जन चाहिए ? अगर इन लोगों को यह भी नहीं पता तो हम लोगों को ही कुछ कोशिश करके ऐसा करना चाहिए कि ये लोग देश की किस्मत न निर्धारित कर सकें। हम सभी जानते हैं कि चुनाव का मजाक बनने में इन नेताओं ने कोई कसार नहीं छोड़ी है, वह तो भला हो चुनाव आयोग का जिसके डर से ये लोग इतना काम आसानी से नहीं कर पाते हैं। वरना पता नहीं ये देश को किस गड्ढे में धकेल दें। हर जगह पैसे का बोलबाला है हर कोई अपने स्वार्थ के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार है। धर्म और जाति के नाम पर किस तरह से वोट मांगे जाते हैं यह क्या किसी से भी छुपा हुआ है ? जब प्रत्याशी ही जाति-धर्म के आधार पर उतर दिए जाते हैं तो क्या वह आचार संहिता का उल्लंघन नहीं होता पर इस बात के लिए तो कोई शिकायत नहीं करता ? चुनाव आयोग भी इस मामले पर अपने आप ही संज्ञान नहीं ले सकता है बस इसलिए ही तो सारा कुछ ऐसे ही चल रहा है.
किसे नहीं पता कि किस तरह से वोटरों को प्रलोभन दिए जाते हैं...
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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