दो दिन पहले लखनऊ में पुलिस महानिदेशक के दफ्तर से २०० मीटर की दूरी पर एक लड़की को कुछ गुंडों ने छेड़ा, जब लड़की का पारिवारिक मित्र उसे बचने के लिए आगे आया तो गुंडों ने उस लड़के को भी पीटा और लड़की से सरे राह बाद सलूकी की। आज जब चुनाव चल रहे हैं और नेता लोग गुंडों की छाती पर चढ़ कर वोट मांगने के दावे कर रहे हैं तो प्रदेश की राजधानी में इस तरह से महिलायें असुरक्षित हैं तो पूरे प्रदेश का क्या रूप होगा यह समझा ही जा सकता है ? बात यहाँ पर लड़की को छेड़ने की नहीं है आज के समय बात यह है कि क्या कोई इस तरह की घटनाओं में कुछ किया जा सकता है ? मन बहुत खिन्न है कुछ भी लिखने को नहीं कर रहा है बस कुछ सोचना समझना चाहता हूँ पर क्या कुछ हाथ आएगा ? पुरूष मानसिकता की बीमारी किस तरह से महिलाओं पर भारी पड़ रही है बस यही सोच कर ही दिमाग पक जाता है । क्या कुछ हम कर सकते हैं कि महिलाये सुरक्षित ही रह सकें ? क्यों नहीं हम अपने बच्चों को महिलाओं कि इज्ज़त करना सिखा पाते है ? लखनऊ के समाचार पत्रों में उन गुंडों की तस्वीरें भी छपी है जब उनके घरों की महिलाओं ने अपने बच्चों को यह करते देखा होगा तो उन पर क्या बीती होगी ? फिर से यहाँ भी आख़िर मानसिक प्रताड़ना केवल महिलाओं के हिस्से में ?
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
पुलिस महानिदेशक के दफ्तर से २०० मीटर की दूरी पर गंडागर्दी .. ताज्जुब है।
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