मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 25 अप्रैल 2009

कैसे कहा होगा ?

आख़िर कार तमाम अटकलों को खारिज करते हुए राहुल गाँधी ने यह कह दिया कि अभी वे प्रधानमंत्री पद के लिए तैयार नहीं हैं। आज के समय में जब हर कोई आगे बढ़ जाने के लिए अपने मूल्यों को भूलता जा रहा है तो ऐसे में यह बयान वास्तव में एक नई ऊर्जा की ओर संकेत करता है। आज यदि सोनिया चाहें तो राहुल के लिए कोई भी पद मुश्किल नहीं है पर जिस तरह से राहुल को राजनीति का पाठ पढाया जा रहा है वह निश्चित ही इस बात का संकेत है कि भविष्य में हमारे पास ऐसे नेताओं की जमात होगी जो कुछ करने से पहले उसकी बारीकियों को भी समझना चाहती है। देश को चलाना एक दुर्घटना नहीं होनी चाहिए किसी को भी कहीं से भी लाकर इस बड़े पद पर केवल जोड़ तोड़ से ही नहीं बैठाया जाना चाहिए। देश चलाने की समझ विकसित हो जाए तो देश वास्तव में बहुत अच्छे से चल सकता है। अपने संसद के कार्यकाल में राहुल ने अपने को सदैव पीछे ही रखा पर संसद में कभी कभी मुखर होना भी उन्हें अच्छा ही लगता था तभी तो कलावती की पीड़ा का वर्णन करके उन्होंने सबको चौका दिया था। यह कहना बहुत आसान है कि उनके पास तो सब कुछ है पर जिसके पास सब होता है उसकी जिम्मेदारी भी तो अधिक हो जाती है क्योंकि उसे वह थाती संभाल कर भी रखनी होती है और अपनी छाप भी छोड़नी होती है।
राहुल जिस तरह से अपने को सारा कुछ सीखना चाहते हैं वह भारत के लिए अच्छा ही है क्योंकि हमें एक सोच वाला नेता ही चाहिए मात्र नौटंकी के सहारे जीने वाले बहुत सारे विदूषक देश में पहले से ही नेता गिरी कर रहे हैं।
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

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