ऑस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों के साथ जो कुछ भी हो रहा है उसके पीछे कोई सोची समझी साजिश है या भारतीय मेधा से डरे हुए विश्व का एक पलटवार है ? हम सभी को आज यह देखना ही होगा कि क्यों हर जगह हम भारतीय अपने काम में सबसे आगे रह पाते हैं ? इसका उत्तर मेरे हिसाब से एक बात में ही छिपा है कि हम भारतीय सारे संसार को परिवार मानते हैं और जहाँ कहीं भी हों अपने मन में एक भारत बसाये हुए उस देश के तौर तरीकों को बहुत ही आसानी से अपना लेते हैं। बस यही एक गुण है जो दुनिया के किसी भी देश के लोगों में नहीं मिलता है। जब हम सभी को अपना मन लेते हैं और उन्हें अपना बना लेते हैं तो हमारे लिए अपने पराये का भेद समाप्त हो जाता है । आज जिस तरह से दुनिया में आर्थिक मंदी का हल्ला मचा हुआ है उसकी मार से अपना देश काफी हद तक अछूता ही रहा है शायद यह कारण भी हो जो ऑस्ट्रेलिया के लोगों को अच्छा न लग रहा हो ?
भारतीयों का गुण सब को अपने में शामिल करना चाहिए पर कुछ लोग किसी देश में भारत के खिलाफ मोर्चा खोल कर अपनी रोटियां सेंकना चाहते हैं। भारत सरकार इस मामले में चुप तो नहीं रह सकती फिर भी करने के नाम पर केवल वहां की सरकार से विरोध दर्ज करा सुरक्षा की मांग ही कर सकती है। ऐसा लगता है कि अभी तक सरकार ने इसे लड़कों का उपद्रव ही समझा है। अच्छा हो कि जल्द ही कुछ अच्छा कदम उठाया जाए जिससे हमारे जो बच्चे वहां पढने के लिए गए हुए हैं उनको सुरक्षा मिल सके और उनके परिवार वाले यहाँ पर चैन की नींद ले सकें.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
भारतीय मेधा का भय बहुत बाद की बात है। विश्व मंदी की मार से जल रहा है। इस का मुख्य कारण अनियंत्रित पूंजीवादी व्यवस्था है। इस से रोजगार कम हो रहा है। जब किसी भी देश में ये समस्याएँ घिरने लगती हैं तो राजनीतिज्ञों, मीडिया और अन्य प्रचार माध्यमों का उपयोग कर उस की धार जनता को बांटने वाली विचारों की ओर मोड़ दी जाती है। इसी का शिकार आज आस्ट्रेलिया हो रहा है। यह केवल भारतीयों का प्रश्न नहीं है उन के स्थान पर कोई भी होता आस्ट्रेलिया में यह होना ही था।
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