मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 20 जून 2009

लालगढ़ का लाल सलाम...

अब बंगाल में जिस तरह से माओ वादियों ने जिस तरह से वहां की सरकार को चुनौती दी है वह खतरे की घंटी तो है ही साथ ही यह भी दिखाई दे रहा है कि सरकारी संरक्षण किस हद तक खतरनाक हो सकता है ? यही लोग कभी वामपंथी सरकार के लाडले होते थे पर अब किसी कारण से इनके रास्ते अलग हो चुके हैं।
मैं यहाँ पर एक बात ही कहना चाहता हूँ जिस तरह से बंगाल सरकार अपनी इस ज़िम्मेदारी को भी त्रण-मूल कांग्रेस पर डालना चाह रही है वह उसके निकम्मे पन की हद ही तो है। ३२ साल सरकार चलने के बाद इस बात की ज़िम्मेदारी किसी और की कैसे हो सकती है ? अपने फायदे के लिए असामाजिक तत्वों के साथ हाथ मिलाना कितना भारी पड़ सकता है यह अब बंगाल सरकार को समझ आ ही गया होगा। सरकारें चाहे जो कुछ भी करें पर इस घटिया लडाई में हमारे जवान शहीद नहीं होने चाहिए.... जो फैसला करना है जल्दी करें और अच्छी तरह से विचार करने के बाद ही करें जिससे सुरक्षा बालों पर कम से कम आंच आए। वैसे इस तरह के मामलों में तो सुरक्षा बालों को पूरी छूट दे देनी चाहिए आख़िर उनको भी तो कुछ अनुभव है और वे आम आदमी के दुश्मन तो नहीं कि जब सरकार बताएगी तभी कुछ ठीक से किया जा सकेगा ? यदि अनावश्यक हस्तक्षेप बंद कर दिया जाए तो हमारे बल सब कुछ बहुत अच्छे से कर सकने में सक्षम हैं। पर क्या कोई सरकार इस देश में अपनी टांग अडाये बिना किसी को कुछ भी करने देती है ? आज समय है कि हम सभी को यह सवाल ज़रूर पूछना चाहिए कि आख़िर क्यों और किन परिस्थितियों में हालत बेकाबू हो जाते हैं ? आख़िर में जनता और सुरक्षा बल ही पिस जाते हैं और नेता राजधानियों में बैठ कर पत्रकार वार्ता ही करते रहते हैं....
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

1 टिप्पणी:

  1. विचारणीय पोस्ट लिखी है।सही समय पर सही कदम उठा लिया जाए तो यह नौबत ही ना आए।

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