आख़िर पाक ने जो दस्तावेज भारत को सौंपे हैं उनमें उसने मान ही लिया की पाक के आतंकी संगठनों ने ही मुंबई हमले की साजिश रची थी। अभी तक जिस तरह से पाक इन बातों से मुकर रहा था उसको देखते हुए यह भारत की एक बड़ी कामयाबी तो कही ही जा सकती है। आज जब सारे विश्व का मत आतंक के विरुद्ध होता जा रहा है तो कोई देश मुख्य धारा में रह कर आतंक का पालन पोषण नहीं कर सकता। पाक के मामले में हमें बहुत ही सावधानी से काम करने की ज़रूरत है क्योंकि इस देश का अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई बहुत विश्वास का इतिहास नहीं रहा है और जब बात भारत विरोध की होती है तो वहां पर कुछ ज़्यादा ही प्रतिक्रिया दिखाने की कोशिश होती है। पाक का पूरक आरोप पत्र हिरासत में लिए गए आतंकियों के खिलाफ और सबूत दिखाता है। अब आवश्यकता इस बात की है कि इन पर वास्तविकता में सबूतों के आधार पर मुक़दमा चलाया जाए तथा दोषी पाए जाने पर कड़ी सज़ा भी दी जाए। यह भी सही है कि इस मामले में भारत जो कुछ कर सकता था उसने कर दिया है और उसका परिणाम सबके सामने है। अब तो विश्वास बढ़ने का काम पाक को ही करना है क्योंकि मुंबई हमले ने देश की आत्मा पर चोट की थी आज भी कोई उसको भूल नहीं पाया है।
देश में एक परिपाटी सी हो गई है कि विपक्ष बिना कुछ सोचे समझे ही कुछ भी कहना शुरू कर देता है। जब पाक के मामले में भारत को इस तरह से कुछ हद तक सफलता मिल रही है तो भी कुछ नेता सरकार पर पाक के सामने घुटने टेक देने के आरोपों का पुलिंदा लिए घूम रहे हैं। फिलहाल तो जिस तरह से मनमोहन सरकार ने मुंबई हमले के मामले को संज्ञान में प्राथमिकता के आधार पर लिया था यह उसी का नतीजा है कि पाक कुछ मानने लगा है। देश का आम जनमानस भी यह मानता है कि मुंबई हमलों के बाद जिस तरह की कूटनीतिक, राजनैतिक, दबाव की राजनीति की आवश्यकता थी उसमें मनमोहन सरकार को बहुत अच्छे नंबर दिए जा सकते हैं आज हम सभी को यह भी देखना है कि कुछ भी ऐसा नहीं हो जिससे देश का पक्ष कमज़ोर हो। मनमोहन -आडवानी तो मज़बूत/ कमज़ोर होते रहेंगें पर भारत को कमज़ोर करने वालों को यह देश कभी माफ़ नहीं करेगा.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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