आज जिस तरह से बूटा सिंह अपने बेटे के बुने जाल में बुरी तरह फंसते जा रहे हैं उससे तो यही लगता है की भारतीय राजनीति में अब शुचिता का कोई स्थान नहीं रह गया है। अब जब सी बी आई के पास कहा जा रहा है कि पर्याप्त सबूत हैं और वह किसी भी दिन बूटा सिंह से पूछ ताछ कर सकती है तो भी उनका पद पर बने रहना अखरता है । यदि वे मानते हैं कि उनकी कोई गलती नहीं है तो उन्हें जांच पूरी होने तक अपने पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए पर आज के कुचक्र में कोई भी नेता इस तरह से अपने को पाक साफ नहीं दिखाना चाहता है। अफ़सोस तो तब होता है जब पुरानी पीढ़ी के नेता भी एक आदर्श स्थापित करने में चूक जाते हैं। बूटा सिंह इंदिरा जी के समय में शक्तिशाली हुआ करते थे और इस बात का उन्हें सदैव लाभ भी मिला पर वर्तमान परिस्थितियों में वे अपने को सही साबित करने के लिए कुछ दिनों के लिए पद का मोह त्याग तो सकते थे ? हो सकता है कि उनके बेटे की करतूतों से वे अनिभिज्ञ ही हो तो भी उन्हें अपने पद की गरिमा का ध्यान तो रखना ही चाहिए था भले ही कुछ भी होता रहता ? यह भी सही है कि बेटे की करनी की सज़ा बाप को नहीं दी जा सकती पर जांच होने तक वे अपने को बेटे से अलग रखने की कोशिश तो कर ही सकते थे ? फिल हाल मिल रहे सूत्रों के अनुसार तो जांच एजेन्सी को पर्याप्त सबूत मिल चुके हैं और जल्दी ही वह बूटा सिंह से भी पूछ ताछ कर सकती है। यह सही है कि पिछले कुछ समय से कांग्रेस ने ऎसी परिस्थितियों में अपने आप को व्यक्ति से दूर कर लिया और कानून को अपना काम करने दिया परन्तु कांग्रेस को एक बात का ध्यान और रखना होगा कि इस तरह के आरोप लगते ही नेताओं को पद से हटाने में भी शीघ्रता दिखानी होगी जिससे कहीं से तो लगे कि कोई कुछ करना तो चाहता है.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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