आज जिस तरह से एयर इंडिया में हड़ताल चल रही है वह देश के सुनहरे उड्डयन उद्योग पर कालिख पोतने का काम ही कर रही है। इस हड़ताल से पहले जेट भी इसी तरह की हड़ताल का शिकार हो चुकी है। यह सही है कि सभी उड्डयन कम्पनियाँ आज कल घाटे में जा रही है एयर इंडिया को बचाने के लिए तो सरकार बाकायदा कुछ देने भी जा रही है कि उसे मंदी और घाटे से उबारा जा सके। ऐसी स्थिति में यहाँ पर इस तरह कि हड़ताल तो सरकारी विमान कंपनी के संकट को और ज़्यादा बढ़ने वाली ही होगी। इन सारी बातों को ठीक से देखने की ज़रूरत है क्योंकि विमान कम्पनियाँ कोई सड़क परिवहन तो हैं नहीं ? इनके दुरुस्त रहने से ही बहुत कुछ ठीक रह सकता है। कहीं ऐसा तो नहीं इन लोगों की आड़ में कोई और ही भारतीय विमान कंपनियों को चोट पहुँचाना चाहता हो ? सरकार को इन सभी मामलों में इस तरह से भी देखना चाहिए। यहाँ पर एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि कर्मचारियों पर ये कम्पनियाँ बेहिसाब खर्च करती हैं। अभी दो साल पहले तक सब ठीक था तो अच्छी मोटी रकम भी कर्मचारियों के हाथ आ रही थी, आज जब ये कुछ संकट में हैं तो कर्मचारी इस तरह से हड़ताल कर इनकी समस्याओं को बढ़ाने का ही काम कर रहे है। प्रबंधन को भी देखना चाहिए कि कहीं पर किसी को अनावश्यक रूप से न सताया जाए। सभी कि सही और जायज़ मांगों पर विचार किया जाए और कंपनी कि सेहत के अनुसार ही सबका ध्यान रखा जाए.
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सभी कि सही और जायज़ मांगों पर विचार किया जाए और कंपनी कि सेहत के अनुसार ही सबका ध्यान रखा जाए-बस इतना ही तो करना है मगर इससे राजनिति तो सिद्ध न हो पायेगी.
जवाब देंहटाएंये एयर इंडिया वालो को भी जेट वालो की बीमारी लग गयी लगती है जो उन्होंने भी अपनी कंपनी या ये कहे की सरकार को blackmail करना शुरू कर दिया सरकार को सख्ती से इस समस्या से निबटना चाहिए नहीं तो इससे दुसरे देसों के सामने बहुत गलत सन्देश जायेगा . आपकी तत्परता के लिए धन्यवाद् . harish rastogi (golu)laharpur
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