केंद्रीय मंत्री प्रणब दा ने कल जो कहा कि अब गरीबों को अनाज सस्ते दर पर उपलब्ध कराने के लिए सस्ते अनाज की गारंटी का कानून बनाया जाएगा वह अपने आप में बहुत बड़ा कदम है। देश में इस तरह के कानून की आवश्यकता बहुत दिनों से महसूस की जा रही है। देश की सार्वजानिक वितरण प्रणाली में जितने लोगों को लाभ होना चाहिए था उससके मुकाबले शायद बहुत कम लोगों को ही इसका लाभ मिल पाया है। सरकारें अच्छे प्रयास से गरीबों के लिए बहुत कुछ उपलब्ध करा सकती हैं पर इस बात की कोई गारंटी नहीं दे सकती हैं कि इन योजनाओं को सही ढंग से गरीबों तक पहुँचाया जा सके। आज विधवा/ वृद्धावस्था पेंशन, नरेगा में जिस स्तर पर भ्रष्टाचार मचा हुआ है वह सब सरकार को भी दिखाई देता है पर कुछ मामले केन्द्र के अधीन हैं तो कुछ राज्यों के। ऐसी स्थिति में केन्द्र सरकार क्या कर सकती है अगर किसी राज्य में उसकी किसी योजना को ठीक से लागू ही न किया जा सके ?
निस्संदेह यह बहुत अच्छा प्रयास होगा पर इस कानून में यदि एक बात यह भी जोड़ दी जाए कि इन सभी योजनाओं को स्थानीय स्तर पर भी देखा परखना आवश्यक हो। हर गाँव या ऐसे स्थान पर जहाँ पर यह योजना संचालित की जाए वहां पर कुछ गणमान्य व्यक्तियों की सूची बनाई जाए पर साथ ही यह भी ध्यान रखा जाए कि इस सूची में किसी भी राजनैतिक निष्ठा वाले व्यक्ति को समाहित न किया जाए। इस सूची में स्थानीय शिक्षक, धार्मिक गुरु, वकील, चिकित्सक, व्यापारी आम जन को भी शामिल किया जाए। इस समिति के पास अधिकार भी होने चाहिए वरना यह बिना नख-दंत की समिति भ्रष्टाचार के विरुद्ध कुछ भी नहीं कर पायेगी। सरकार चाहे तो यह कठिन नहीं है पर इसके लिए जो दृढ़ता चाहिए वह कम सरकारों के पास ही होती है।
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
देखिये बात कहाँ तक जाती है अमल होते होते...
जवाब देंहटाएंजान आराम से ही निकलेगी, कतल होते होते...
-हो जाये तो बेहतर!!
सरकार चाहे तो यह कठिन नहीं है पर इसके लिए जो दृढ़ता चाहिए वह कम सरकारों के पास ही होती है।
जवाब देंहटाएंबहुत सही ...!!
सरकार के कई प्रयास अच्छे भी हैं मगर राज्य सरकारें अपने हित साधने के लिये उन्हें सही तरीके से लागू भी नहीम करती। अगर भ्रश्टाचार पर नकेल कसी जाये तभी सब योजनाओं का लाभ है आभार इस आलेख के लिये
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