मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2009

गिरते नैतिक मूल्य ...

आख़िर में सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को देश में गिरते नैतिक मूल्यों पर चिंता ज़ाहिर कर ही दी। ऐसा नयायालय की पीठ ने सरकारी बंगलों पर अवैध रूप से रह रहे लोगों के बारे में याचिका पर अपना मत व्यक्त करते हुए कहा। यह भी कहा गया कि पटना में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के एक मामले में कहा जिसमें उस बंगले की बिजली पानी बंद करके ही उनसे बंगला खाली कराया जा सका। पीठ ने इस बात पर गहरी चिंता भी व्यक्त की कि इस तरह के मामले अब उच्च पदों पर बैठे लोगों द्वारा अधिक किए जा रहे हैं। साथ ही उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि अभी सर्वोच्च न्यायालय में इस तरह का रोग नहीं फैला है। पीठ ने सरकारी बंगलों को खाली कराने के बारे में एक प्राधिकार होने पर भी बल दिया साथ ही यह भी कहा कि यह सारी बातें सार्वजानिक जीवन में रहने वालों को स्वेच्छा से करनी चाहिए इस बात के लिए इस तरह से बल प्रयोग करना ही जनता में ग़लत संदेश देता है।
पीठ ने इस बात के लिए पूरे समाज को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि पूरे समाज को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस तरह से कुछ भी ग़लत न होता रहे। आख़िर जो भी लोग न्यायपालिका, कार्यपालिका या विधायिका में शामिल हैं वे सभी समाज का ही हिस्सा हैं और किसी भी स्तर पर समाज अपनी ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकता। पीठ ने इस बात पर घोर असंतोष व्यक्त किया कि जब तक हथौड़ा न चलाया जाए तब तक कोई कुछ भी नहीं करना चाहता है ? न्यायालय की हर बात को दोबारा कहने पर ही माना जाने लगा है इससे पहले कोई भी कुछ नहीं करना चाहता । जब अवमानना आदि का मामला बनता दिखाई देता हिया तभी इस तरह के मामलों पर कार्यवाई की जाती है। देश में नैतिक मूल्यों का पतन हो चुका है और लगातार होता ही जा रहा है जो कि आज के समय में सबसे बड़ी चिंता का कारण है।

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