मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 12 नवंबर 2009

मेरे अरमां

मेरे अरमां मचल रहे हैं,
तेरे अब मचलेंगें कब ?
थोड़ी मेहर जो रब की हो तो,
पूरे होंगे अबकी सब....

थोड़ी झिझक बची है मुझमें,
थोड़ी तुझमें है बाकी.
तू जो हाथ थाम ले मेरा,
चाँद के पार चलेंगें हम....

घने कुहासे की चादर में,
दिल ने फिर अंगडाई ली है.
याद वही फिर से आता है,
तेरी आहट मिलती जब ....

तेरी भोली मुस्कानों में,
दिल के अरमां पलते हैं.
डूब के तेरी आँखों में अब,
जीवन फिर से लेंगें हम....

पल पल जीना मुश्किल है जब,
तू है मुझसे दूर कहीं .
आ के अपना हाथ बढा दे,
वरना डूब रहे हैं हम.......


मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

2 टिप्‍पणियां:

  1. थोड़ी झिझक बची है मुझमें
    थोड़ी तुझमें है बाकी
    तू जो हाथ थाम ले मेरा
    चाँद के पार चलेंगें हम....
    वाह बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति है शुभकामनायें

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  2. आ के अपना हाथ बढा दे,
    वरना डूब रहे हैं हम.......
    मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
    खूब जम रहा है ...हमारे भारत को इसकी बहुत आवश्यकता है
    हा हा हा ...
    बहुत सुन्दर कविता ...!!

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