मत पूछो मेरे दिल से, मेरे दिल की चाह को।
पहली से आख़िरी सभी चाहत में तुम्हीं हो ॥
हो चाहें जितनी दुनिया, हों चाहे राहें कितनी ?
शुरुआत से अभी भी मेरी ज़न्नत में तुम्हीं हो।
हर एक की दुआ है कि, मिल जाये साथ तेरा ।
उठते हुए हर हाथ की मन्नत में तुम्हीं हो ॥
कुछ लोग जी गए थे, किसी और राह में ।
इस जिंदगी की राह और राहत में तुम्हीं हो॥
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
Jitne sundar bhaav utni hi sundar abhivyakti....
जवाब देंहटाएंwaah !
जवाब देंहटाएंतुम्ही हो तुम्ही हो ...हर जगह हर पल तुम ही हो ...उस तुम को और इस कविता लिखने वाले हम को बहुत बधाई ...!!
जवाब देंहटाएंJitne sundar bhaav utni hi sundar abhivyakti..
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