हेडली के मामले में रोज़ ही कुछ नया सामने आ रहा है उसे देख कर तो लगता है कि इस आतंकी का बहुत बड़ा नेटवर्क था और दुनिया भर में काफी लोग इसकी मदद भी कर रहे थे। पाकिस्तान से लेकर दुनिया के तमाम हिस्सों में घूमने वाला यह शख्स कोई मामूली हस्ती नहीं हो सकता। इस बात से यह भी पता चलता है कि आतंकी संगठन अपने नेटवर्क सभी देशों में खड़ा करने की कोशिश में हैं। कुछ जगहों पर तो उनके द्वारा प्रशिक्षित आतंकी ख़ुद ही लड़ रहे हैं और कहीं कहीं पर उन्होंने कुछ लोगों को धर्म के नाम पर या अन्य तरह की बातो में उलझा कर अपने साथ करने का प्रयास जारी रखा है। ऐसे में सभी यह जानते हैं कि जब कहीं से भी अचानक यह पता चलता है कि हमारे पास रहने वाला एक सामान्य सा शख्स आतंकियों का मददगार और हमराह था तो भरोसा ही नहीं होता है। आज के समय में विश्वसनीयता का संकट खड़ा किया जा रहा है। लोगों को यह समझना ही होगा कि ९/११ के बाद से पश्चिमी दुनिया किसी भी इस्लाम के अनुयायी को शक की नज़रों से देखने लगी है और इस तरह के खामोश मददगार उनकी धारणा को पक्का ही करेंगें। इस्लाम को कुछ लोगों ने अपने हिसाब से परिभाषित करना शुरू कर दिया है जो कि सबसे ग़लत है। वर्तमान समय में इस विश्वसनीयता के संकट को ख़त्म करने के लिए पहल इस्लामिक जगत से ही होनी चाहिए तभी जाकर सुधार हो पायेगा। यह कहने से काम नहीं चलने वाला है कि हम क्या करें अगर आज अच्छे लोग चुप रह गए तो केवल बुरे लोग अपनी सुविधा के अनुसार धर्म का उपयोग करते रहेंगें जो कि किसी भी धर्म के लिए कभी भी अच्छा नहीं हो पाया है। आज के समय में सभी को अपने आस-पास और अपने घरों में झांक कर बराबर देखते रहना चाहिए कि कहीं कोई हमारे बच्चों को फंसा तो नहीं रहा है ? धार्मिक होना समाज के लिए जितना अच्छा है धर्मांध होना उतना ही बुरा। इन खतरनाक इरादों पर कड़ी नज़र रखकर ही कुछ किया जा सकता है। अगर छोटी बात मानकर आज हमने इस सब को होने दिया तो बाद में यह हम सभी को बहुत कष्ट देने वाला है।
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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