मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 30 मार्च 2010

परमाणु समझौता अब पूरा...

 अमेरिका के साथ हुए १२३ परमाणु समझौते में आखिर अमेरिका ने भारत को ज़िम्मेदार परमाणु शक्ति मानते हुए परमाणु ईंधन के पुनः प्रयोग को भी अपनी सहमति दे दी है. इस समझौते से अब भारत की परमाणु ऊर्जा को शांति पूर्वक उपयोग में लाने की दृढ़ता को बहुत बल मिला है. भारत इस बात को पहले ही कह चुका है कि किसी भी स्थिति में इन विकास से जुड़े परमाणु केन्द्रों का उपयोग सैन्य कार्यों के लिए नहीं किया जायेगा. अभी तक इस बात पर सहमति नहीं बन पा रही थी. भारत पर इस तरह से अमेरिका का भरोसा दुनिया के अन्य देशों की भी इस तरह की आशंकाओं को दूर करने में सफल होगा.
    आज देश में सीमित संसाधनों से जिस तरह से ऊर्जा का संकट बढ़ता ही चला जा रहा है उससे आने वाले समय में देश में बहुत समस्या आने वाली है पर निजी और सार्वजानिक क्षेत्र में लगने वाली परमाणु परियोजनाओं से काफी हद तक इस समस्या को दूर किया जा सकेगा. इस समझौते से अमेरिका की बहुत सारी परमाणु ऊर्जा से जुड़ी कंपनियों को भी बहुत फायदा होने वाला है क्योंकि समझौते में इस बिंदु पर सहमति न बन पाने से वे आन्ध्र प्रदेश और गुजरात में काम नहीं कर पा रही थीं. अब पूरी बात स्पष्ट हो जाने से यह तो तय है कि आज की परिस्थितयों और भारत के अब तक के इतिहास को देखते हुए दुनिया का कोई भी देश हमारी अनदेखी नहीं कर पायेगा. भारत और चीन आज सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था हैं पर जितना खुलापन भारत काम करने के लिए देता है वैसा चीन में पता नहीं कब मिल पायेगा ? इस कारण से भी दुनिया के देश भारत की तरफ आज देखना चाहते हैं. ऐसी स्थिति में यदि हम उन्हें मूलभूत सुविधाएँ नहीं दे पाए तो उसके लिए हमारे सिवा कौन ज़िम्मेदार होगा ? आज इन समझौतों के खिलाफ़ चिल्लाने वालों का सही आंकलन तो ३० साल बाद ही हो पायेगा जब अगली पीढ़ी इन क़दमों का भरपूर लाभ उठा रही होगी.     

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