मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 9 मई 2010

माँ.....

एक खूबसूरत एहसास... जो खुद अपने आप में पूरी दुनिया को समेटे हुए है. जिसके दिख जाने से ही लगता है कि जैसे अब दुनिया की कोई भी मुश्किल आ जाये मेरा कुछ नहीं बिगड़ने वाला. पता नहीं कितनी बार पापा के क्रोध से बचाकर प्यार भरी झिड़की से ही घर का सारा तनाव गायब कर देने वाली..... चाहे कितनी ही गर्मी सर्दी हो रात के कितने बजे ही वापस आया जाये पर उसकी आँखें तो बस दरवाज़े पर ही लगी रहती हैं..... दुनिया में भगवान का भेजा हुआ वह उपहार जिसके बिना जिंदगी की कल्पना भी करना एक बेईमानी सा लगता है. माँ..... जी यह माँ ही है जो किसी भी परिस्थिति में किसी भी परेशानी में सबसे पहले आगे आकर अपनी ममता के आँचल की छाँव में सबको छिपा लेती है और हमें लगता है कि जैसे अब सब कुछ ठीक ही तो है न. . हम तो बेकार ही परेशान हो रहे थे जबकि हर परेशानी की चाभी तो हमारी माँ के पास हर समय है.....
माँ.... जिसे शायद अपनी जिंदगी में कुछ भी नहीं चाहिए होता है.... उसे केवल अपने बच्चों की थोड़ी सी ख़ुशी ही दिखाई दे जाये तो वह और कुछ भी नहीं चाहती है.... माँ के बिना सब कुछ कितना सूना सूना हो जाता है ? माँ होती ही इतनी अच्छी है कि उसका बिना जिंदगी की कल्पना कर पाना भी मुश्किल सा लगता है.... आज के व्यस्त समय में क्या हम अपनी व्यस्तता से कुछ समय निकालकर अपनी माँ के आँचल में ठीक उसी तरह सुकून ढूंढते हैं जो हमें बचपन में चाहिए होता था ? अब क्यों बड़े हो जाने पर हम बहुत सी बातें माँ के सामने रखना ही नहीं चाहते ? शायद अपनी पढ़ाई-लिखाई से हमें यह लगने लगता है कि बेचारी माँ के पास इस बातों की तोड़ कहाँ होगा ... माँ के पास किसी बात का तोड़ हो या न हो पर उसके पास ममता की वह शक्ति हमेशा होती है जो किसी भी परिस्थिति से हम सभी को चुटकी बजाते ही बाहर कर देती है.... उसकी ममता भरी छाँव के पास कुछ पेचीदा सवालों के जवाब भले ही न हों पर उनसे हम सभी को वह शक्ति तो मिल ही जाती है जो हमें हर सवाल का जवाब खोजने के लायक बना देता है.... माँ तुम माँ हो और संसार में सब कुछ हो पर अगर तुम्हारा प्यार ना मिले न तो यह संसार में सब कुछ होते हुए भी बहुत सूनापन सा लगता है...     

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

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