दिल्ली की एक अदालत ने कुछ विशेष कानूनों के दुरूपयोग पर चिंता जताते हुए कहा है कि इस तरह के हर मामले में ठीक तरह से पड़ताल की जानी चाहिए जिससे निर्दोषों को परेशान होने से बचाया जा सके. अदालत ने एक मामले में यह कहा कि शादी शुदा बहनों को घरेलू हिंसा कानून के तहत शामिल नहीं किया जा सकता है. अदालत ने यह भी कहा कि संपत्ति में बहनों का पूरा हक़ पहले की तरह ही बना रहेगा पर इस तरह से उन्हें फँसाने वाली हरकतों पर ठीक से नज़र रखे जाने की आवश्यकता है.
इस मामले में अदालत ने यह भी कहा कि अपनी संपत्ति से अलग करने के लिए कुछ जगहों पर इस कानून का इस्तेमाल निर्दोषों के खिलाफ भी किया जा रहा है. शादी शुदा बहनों को अदालत ने परिवार से अलग माना और कहा कि उनको इस तरह के हर मामले में शामिल नहीं किया जा सकता है. फिर भी अच्छी तरह से जांच करने और विशेष कानून के दुरूपयोग को रोकने पर कोर्ट ने पूरा ज़ोर दिया. यह सही है कि आज इस तरह के विशेष कानून खासकर दहेज़ और दलित उत्पीड़न के मामले में अधिकतर गलत हाथों में पड़कर अपनी प्रासंगिकता खो रहे हैं. इन कानूनों को बनाने वालों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि लोगों को बचाने के लिए बनाये जाने वाले कानून को कुछ स्वार्थी तत्व लोगों को फँसाने के लिए इस्तेमाल करने लगेंगे. यह सही है कि आज भी देश में दहेज़ के नाम पर अनगिनत लड़कियों को मार डाला जाता है पर बहुत बार अन्य कारणों से हुई मौत को भी लड़की के परिजन केवल दहेज़ हत्या के रूप में ही दर्ज़ कराना चाहते हैं. बस यहीं से निष्पक्षता समाप्त हो जाती है और पुलिस को दोनों पक्षों से रूपये ऐंठने का मौका मिल जाता है. आज आवश्यकता है कि इस तरह के हर मामले में एक विशेष बल जांच करें जिससे लोगों के मन में इन कानूनों का भय न बैठे और इसका लाभ ग़लत लोग न उठाने पायें.
हर तरह के कानून में कुछ ऐसी बातें होती हैं जिनमें सख्ती करने के बिंदु को सजा के तौर पर इस्तेमाल किया जाने लगता है. अच्छा हो कि अब इस तरह के दुरूपयोग पर पाबन्दी लगायी जाये तथा कानूनों को सख्ती से अपराधियों के खिलाफ़ लागू किया जाये जिससे आम लोग बिना बात के इनसे भयभीत ना रहें.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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