बीसीसीआई ने पहली बार एशियाई खेलों में शामिल होने वाले टी २० क्रिकेट के लिए भारत की टीम भेजने में अपनी मजबूरी बता दी है जिससे इस प्रतिष्ठा पूर्ण समारोह में भारत की उपस्थिति ही नहीं हो पायेगी. इसी आयोजन के लिए पाक और श्रीलंका ने अपनी टीम भेजने के बारे में सहमती दे दी है. अब सवाल यह उठता है कि जब क्रिकेट का सबसे बड़ा बाज़ार एशिया ही है तो भारत जैसे बड़े बाज़ार वाले देश के ना खेलने से किस तरह से इस देश का भला होने वाला है. यह सही है कि पहले की कुछ अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताएं हो सकती हैं पर जब एक तरफ़ राष्ट्रीय टीम और सम्मान की बात हो तो कुछ फिर किसी और बात की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. क्या ऐसा पहले नहीं हुआ है कि खेलने वाले देशों की सहमति से आज तक कोई कार्यक्रम बदला नहीं गया है ? अगर देश के सम्मान के लिए टीम भी नहीं भेजी जा सकती है तो ऐसे बोर्ड को तुरंत ही भंग कर दिया जाना चाहिए.
यह सही है कि चीन में खेलने से देश की भावना आगे जाती पर जब पैसे के लिए बोर्ड नित नए तिकड़म करने में ही लगा रहता है तो उससे क्या आशा की जा सकती है ? अगर पहली बार शामिल हो रहे इस खेल में भारत अपनी टीम भेजे भी तो ऐसा कुछ नहीं है कि वह पदक ले ही आएगा पर पाक और श्रीलंका के मौजूद होने से जहाँ पहली बार शामिल हुए इस खेल के बारे में लोग और अच्छे से जान पाते और खेल के इस प्रारूप को और बढ़ावा मिल जाता. अभी भी समय है कि इस बारे में ठीक से सोचा जाये क्योंकि अभी तक चीन यह खेल नहीं खेलता है और यह भी तय है कि जब भी उसने यह खेल खेलना शुरू किया तो और कुछ भी हो पर वह एक बड़ी शक्ति बन कर उभर जायेगा इसमें कोई शक नहीं है. फिलहाल तो यह बात देखनी चाहिए कि कैसे इस तरह के आयोजनों में देश की पहले दर्जे की टीम भेजी जाये ? एक ऐसा देश जो क्रिकेट के लिए मरता रहता है एशिया के सबसे बड़े आयोजन में अपने प्रिय खेल को खेले बिना आखिर किस तरह से इस खेल के विस्तार की बात कर सकता है ?
यदि बोर्ड के पास पैसे के कारण कोई समस्या है तो सरकार को भी उसे देखना चाहिए साथ ही बोर्ड को भी देश कि प्रतिबद्धताएँ भी सीखनी और देखनी चाहिए. जो देश क्रिकेट ओढ़ता बिछाता है वही इतने बड़े आयोजन से बाहर ही रहेगा यह भी समझ में आने वाली बात नहीं है ? अगर श्रीलंका अपने को वहां तक पहुँचाने की कोशिश कर सकता है तो क्या कारण है कि भारत का बोर्ड ऐसा कोई प्रयास नहीं कर पाता है ? अगर बोर्ड के पास केवल पैसे ही कमाने का उद्देश्य है तो सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप अवश्य करना चाहिए.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
आईये जाने ..... मन ही मंदिर है !
जवाब देंहटाएंआचार्य जी
paisa hi har samsya ka hal hai.......
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