उत्तर प्रदेश सरकार ने अब यह मान लिया है कि बढ़ती हुई ऊर्जा ज़रूरतों से निपट पाना अब सार्वजानिक क्षेत्र और सरकार के बस की बात नहीं रह गयी है. ऊर्जा विभाग की एक बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि अब बिजली के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश में आने वाले उद्योगपतियों को वही सुविधाएँ मिलेंगीं जो अन्य उद्योगों को दी जाती हैं. अभी तक इस तरह की कोई व्यवस्था न होने से इस क्षेत्र में निजी क्षेत्र की कई कम्पनियाँ राज्य में आना ही नहीं चाहती थीं. यह सही है कि पूरे देश में इस समय बिजली का संकट चल रहा है पर उत्तर प्रदेश, बिहार आदि में तो यह पूरे चरम पर है. देश की अच्छी भली आबादी बढ़ाने में इन दोनों राज्यों का भारी योगदान भी है फिर भी यहाँ पर सरकारी लचर रवैये के कारण निजी क्षेत्र ने हमेशा से ही इसको अपनी प्राथमिकता से बाहर रखा है.
ऐसा भी नहीं है कि सरकार के बिजली को उद्योग का दर्ज़ा दिए जाने से ही कोई बहुत बड़ा सुधार होने जा रहा है पर एक सही दिशा में बहुत देर से उठाया गया यह कदम आने वाले समय में ऊर्जा संकट को कुछ कम करने में मददगार साबित होने वाला है. यह सही है कि प्रदेश ऊर्जा के मामले में बहुत पिछड़ा हुआ है फिर भी अभी तक स्थानीय निकाय और नगरीय क्षेत्रों में आज भी ऊर्जा के सदुपयोग की कोई बात नहीं की जा रही है. प्रदेश में ऊर्जा संकट को देखते हुए सरकार कैसे कैसे अनोखे काम करती है कि जब लोगों को ज़रुरत हो वे अपने एसी न चलायें ? क्या इस तरह की कोई अपील काम कर सकती है ? जब लखनऊ जैसी जगह पर सरकार की प्रतिष्ठा बने स्मारकों और पार्कों में दिन में भी बिजली बुझाने की कोई व्यवस्था नहीं है तो लोग क्यों अपने को नियंत्रित करेंगें ?
अच्छा हो कि पूरे प्रदेश में ऐसी अजीबो-गरीब अपील करने के स्थान पर इस बात का कानून बना दिया जाये कि सरकारी स्तर पर अब कहीं भी बिजली जलने वाली किसी भी प्रकार की सार्वजानिक प्रकाश व्यवस्था अपनाई नहीं जाएगी और इसके स्थान पर सौर ऊर्जा चालित विकल्पों का ही उपयोग किया जायेगा. क्या सरकार को इस बात का अंदाज़ा है कि पूरे सूबे में कितनी ऊर्जा इस तरह के तमाशों पर ही बर्बाद की जाती है. इस बात को कहने का सरकार को कोई अधिकार नहीं है कि नगरीय क्षेत्रों में शाम के समय बिजली न होने से कानून व्यवस्था की समस्या हो सकती है क्योंकि पूरा प्रदेश शाम को अँधेरे में डूबा रहता है और अँधेरे के कारण कहीं से भी किसी समस्या का कोई ज़िक्र नहीं होता है वरन लखनऊ जैसी जगहों पर अपराधी इतने निर्भय हो चुके हैं कि अपनी रातें नहीं काली करते उन्हें जो कुछ भी करना होता है दिन के उजाले में ही कर लेते हैं.
सबसे पहली बात प्रदेश में पूरी तरह से कानून का राज स्थापित किया जाना चाहिए जिससे हर तरह के उद्योग प्रदेश में आ सकें और प्रदेश हर तरह से तरक्की कर सके. जब यहाँ पर कानून होगा तो सब ठीक हो जायेगा.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
"सबसे पहली बात प्रदेश में पूरी तरह से कानून का राज स्थापित किया जाना चाहिए जिससे हर तरह के उद्योग प्रदेश में आ सकें और प्रदेश हर तरह से तरक्की कर सके. जब यहाँ पर कानून होगा तो सब ठीक हो जायेगा. "
जवाब देंहटाएंसम्यक निष्कर्ष !