मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 11 नवंबर 2010

नैनो और सुरक्षा..

ऐसा लगता है कि भारत के आम लोगों के सपनों की कार नैनो को बदनाम करने के लिए कोई एक पूरा तंत्र काम करने में लगा हुआ है. अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है जिससे इस जनता की कार को यह कह कर नकारा जा सके कि यह पूरे सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं करती है ? फिर भी इसके सड़कों पर आने से लगाकर अभी तक ७०,००० कारों में से ६ में आग लगने की घटनाएँ हुई हैं जिससे बाज़ार के कुछ लोग इसकी सुरक्षा पर सवाल उठाने लगे हैं ? इन सारे मामलों में हो सकता है कि वास्तव में कुछ खराबी रही हो पर आम तौर पर नैनो पर प्रश्न चिन्ह लगाना किसी भी स्तर पर सही नहीं कहा जा सकता है.
         जैसा कि हम सभी भारतीय जानते और समझते हैं कि हम कुछ पैसे बचने के चक्कर में अपनी गाड़ियों में बहुत सारी अन्य सुविधाएँ कम्पनी से लेने के बजाय बाज़ार से लगवाना पसंद करते हैं ? नैनो अपने आप में हर मामले में बेजोड़ है और इसकी विद्युत् सप्लाई में स्थानीय लोगों द्वारा किये गए परिवर्तनों के कारन भी कई बार आग लगने की घटनाएँ हुई हैं. आज बाज़ार का इतना दबाव है कि कोई भी ख़राब सामान किसी को भी बेच नहीं सकता है और अगर कुछ ख़राब सामान चला भी गया है तो सारी कम्पनियां अपनी साख बचाए रखने के लिए इन गाड़ियों को हर वर्ष कि समीक्षा के दौरान नि:शुल्क ठीक करवा देती हैं. अभी तक नैनो के मामले में ऐसा कुछ भी नहीं पाया गया है कि इसमें कुछ कमी हो यह सब खरीदने वालों पर भी निर्भर करता है कि वे इस गाड़ी को किन हाथों से ठीक करवाते हैं ?
         भारत की शान यह गाड़ी जिसे विदेशों में बहुत पसंद किया गया है यहाँ तक हाल की ओबामा कि भारत यात्रा में उनकी पत्नी मिशेल को इस गाड़ी के बारे में इतनी उत्सुकता हुई कि उन्होंने इस गाड़ी को देखने की इच्छा तब ज़ाहिर की जब रतन टाटा को उनसे यह कहकर मिलवाया गया कि इन्होने दुनिया कि सबसे चर्चित गाड़ी बनाई है. अगले दिन सुबह टाटा नैनो देखकर ओबामा दंपत्ति वैसे ही अभिभूत थे जैसा कि भारत में आकर उन्हें लग रहा था. मिशेल ने तो नैनों की सवारी भी की. अमेरिकी अपने राष्ट्रपति की सुरक्षा किस तरह से करते हैं यह सभी को पता है और अगर कोई असुरक्षा उन्हें लगती तो वे क्या ओबामा को इस कार के नज़दीक भी जाने देते ? अच्छा तो यह होगा कि इस गाड़ी में बुरे और कमियां ढूँढने के स्थान पर हम अपनी कमियों पर ध्यान दें ? क्या किसी को यह याद है जब बजाज ने अपने स्कूटर इलेक्ट्रानिक किये थे तो बहुत सारे स्कूटर लादकर इधर उधर करने पड़ते थे क्योंकि सदका किनारे के मिस्त्री उनकी सही जानकारी न होने के आभाव में उन्हें बिगाड़ रहे थे ? अब अच्छा हो कि हम सही हाथों में इसका उपयोग करवाएं जिससे यह भारत की शान और भी तेज़ी से आगे बढे 
   


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