दिल्ली और हरियाणा पुलिस की संयुक्त टीम ने जिस तरह से अम्बाला कैंट स्टेशन के बाहर से खड़ी लावारिस कार से से ५ किग्रा० से अधिक विस्फोटक बरामद किया है उससे देश में त्योहारों के समय एक बार फिर से सुरक्षा सम्बन्धी चिंताएं सामने आ गयी हैं. पिछले एक महीने से यह सामने आ रहा था कि दीवाली का मौके पर आतंकी देश के कई स्थानों पर विस्फोट करने की योजना बना रहे हैं जिसके बाद से ही ख़ुफ़िया तंत्र अपने काम में लगा हुआ था जिस क्रम में ही यह बड़ी सफलता हाथ लगी है पर ऐसा भी नहीं है कि इस बरामदगी के बाद से अब हम सुरक्षित हो गए हैं ? अभी भी हमारे पर इस तरह के ख़तरे मंडरा रहे हैं. इस पूरे घटना क्रम में सबसे ख़तरनाक बात यह है कि अब खालिस्तान समर्थक बब्बर खालसा और लश्कर जैसे आतंकी संगठन साथ में काम करना चाह रहे हैं जिससे सुरक्षा की स्थिति और भी बिगड़ सकती है.
आज के समय में कश्मीर से लेकर पूरे देश में सक्रिय आतंकी इस बात से परेशान हैं कि अब वे पहले की तरह से बहुत बड़ी संख्या में हमले नहीं कर पा रहे हैं जिससे उनके कैडर में यह सन्देश जाता है कि अब कुछ भी करना आसान नहीं है और ऐसी हताशा की स्थिति में आतंकी किसी भी तरह के आत्मघाती क़दमों की तरफ़ बढ़ सकते हैं जो कि और भी चिंताजनक बात हो जाती है. इस तरह के संकट से जूझने के लिए हम सभी को एक बात पर ध्यान तो देना ही होगा कि अपने आस पास की हर गतिविधि पर हम नज़र रखना सीखे जिससे किसी भी असामान्य गतिविधि पर हमारा ध्यान जाने लगे और इसके बारे में पुलिस और सुरक्षा बलों को समय रहते ही सूचित किया जा सके और किसी बड़ी घटना को रोका जा सके. आज आतंकी जिस तरह से सामान्य तरीके से काम करने में लगे हुए हैं उससे यह समझ पाना बहुत मुश्किल होता है कि क्या सामान्य है और क्या असामान्य.. फिर भी हमें अपनी सुरक्षा के लिए अब चौकन्ने रहना ही होगा क्योंकि हर गली मोहल्ले में पुलिस की सुरक्षा नहीं दी जा सकती है जिससे ख़तरे बढ़ जाते हैं.
शहरों में रहने वाले नागरिकों को अपने पहचान पात्र साथ में रखने के लिए आवश्यक किया जाना चाहिए कोई भी व्यक्ति अगर बिना इसके मिले तो उससे पूछताछ करने के अधिकार भी पुलिस को देने चाहिए यह सही है कि देश में अधिकांश जगहों पर पुलिस जिस तरह से काम करती है उसमें निर्दोषों को परेशान करने की घटनाएँ बढ़ सकती हैं. आजकल शहरों में भारत सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना "आधार" का काम चल रहा है हम सभी नागरिकों को प्राथमिकता के आधार पर इसमें सहयोग करना चाहिए क्योंकि यह राष्ट्रीय पहचान संख्या आगे बहुत काम आने वाली है जब हर नागरिक के पास यह संख्या होगी तो बाहर से आने वाले लोगों को आसानी से चिन्हित किया जा सकेगा. पुलिस को भी इस तरह से बनाया जाना चाहिए कि इस तरह की सूचनाएँ किसी एक जगह पर दी जा सकें और इनका सम्बन्ध कुछ इस तरह से होना चाहिए कि इनकी जानकारी नेट के माध्यम से राष्ट्रीय जांच एजेंसी तक भी पहुंचें क्योंकि कई बार राज्य पुलिस के इस तरह की स्थिति की गंभीरता नहीं समझने के कारण आई महत्वपूर्ण सूचना बेकार चली जाती है. साथ ही नागरिक पुलिस को मज़बूत किया जाना चाहिए और इसे शहरों से निकाल कर गाँवों तक पहुँचाने का काम भी किया जाना चाहिए जिससे पूरा देश सुरक्षित ही सके.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
आज के समय में कश्मीर से लेकर पूरे देश में सक्रिय आतंकी इस बात से परेशान हैं कि अब वे पहले की तरह से बहुत बड़ी संख्या में हमले नहीं कर पा रहे हैं जिससे उनके कैडर में यह सन्देश जाता है कि अब कुछ भी करना आसान नहीं है और ऐसी हताशा की स्थिति में आतंकी किसी भी तरह के आत्मघाती क़दमों की तरफ़ बढ़ सकते हैं जो कि और भी चिंताजनक बात हो जाती है. इस तरह के संकट से जूझने के लिए हम सभी को एक बात पर ध्यान तो देना ही होगा कि अपने आस पास की हर गतिविधि पर हम नज़र रखना सीखे जिससे किसी भी असामान्य गतिविधि पर हमारा ध्यान जाने लगे और इसके बारे में पुलिस और सुरक्षा बलों को समय रहते ही सूचित किया जा सके और किसी बड़ी घटना को रोका जा सके. आज आतंकी जिस तरह से सामान्य तरीके से काम करने में लगे हुए हैं उससे यह समझ पाना बहुत मुश्किल होता है कि क्या सामान्य है और क्या असामान्य.. फिर भी हमें अपनी सुरक्षा के लिए अब चौकन्ने रहना ही होगा क्योंकि हर गली मोहल्ले में पुलिस की सुरक्षा नहीं दी जा सकती है जिससे ख़तरे बढ़ जाते हैं.
शहरों में रहने वाले नागरिकों को अपने पहचान पात्र साथ में रखने के लिए आवश्यक किया जाना चाहिए कोई भी व्यक्ति अगर बिना इसके मिले तो उससे पूछताछ करने के अधिकार भी पुलिस को देने चाहिए यह सही है कि देश में अधिकांश जगहों पर पुलिस जिस तरह से काम करती है उसमें निर्दोषों को परेशान करने की घटनाएँ बढ़ सकती हैं. आजकल शहरों में भारत सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना "आधार" का काम चल रहा है हम सभी नागरिकों को प्राथमिकता के आधार पर इसमें सहयोग करना चाहिए क्योंकि यह राष्ट्रीय पहचान संख्या आगे बहुत काम आने वाली है जब हर नागरिक के पास यह संख्या होगी तो बाहर से आने वाले लोगों को आसानी से चिन्हित किया जा सकेगा. पुलिस को भी इस तरह से बनाया जाना चाहिए कि इस तरह की सूचनाएँ किसी एक जगह पर दी जा सकें और इनका सम्बन्ध कुछ इस तरह से होना चाहिए कि इनकी जानकारी नेट के माध्यम से राष्ट्रीय जांच एजेंसी तक भी पहुंचें क्योंकि कई बार राज्य पुलिस के इस तरह की स्थिति की गंभीरता नहीं समझने के कारण आई महत्वपूर्ण सूचना बेकार चली जाती है. साथ ही नागरिक पुलिस को मज़बूत किया जाना चाहिए और इसे शहरों से निकाल कर गाँवों तक पहुँचाने का काम भी किया जाना चाहिए जिससे पूरा देश सुरक्षित ही सके.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
चिन्तनीय है पर सजगता बनाये रखनी पड़ेगी।
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