मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 4 नवंबर 2011

यू पी और लोकायुक्त

      यू पी में लोकायुक्त कार्यालय में जिस तरह से ४ भ्रष्ट मंत्रियों की बर्खास्तगी की सिफारिश पर सरकार द्वारा अमल किये जाने के बाद से लगातार शिकायतों का अम्बार लगता जा रहा है उसके बाद वहां पर उपलब्ध स्टाफ के लिए मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है. अभी तक जिस तरह से लोकायुक्त कार्यालय की सिफारिशों को माया सरकार ने कूड़े के ढेर में फेंकने की परंपरा बना रखी थी उसके कारण ही अभी तक लोग इस कार्यालय में शिकायत करने में कम दिलचस्पी ले रहे थे पर जब से मंत्रियों को बर्खास्त किया गया है तब से एक बार फिर से यहाँ पर शिकायत करने वालों की भीड़ दिखाई देने लगी है. ऐसा नहीं है की लोकायुक्त के काम में कोई कमी थी या फिर कुछ और वजह थी पर सरकार के भारी मन से ही उठाये छोटे से कदम ने ही इस कार्यालय की सर्वोच्चता और निष्पक्षता को फिर से लोगों के सामने ला दिया है.
      अब लोकायुक्त को तुरंत इस काम के अनुसार कर्मचारियों की नियुक्ति करने के लिए सरकार से कहना चाहिए क्योंकि इसके बिना कोई भी काम अब समय बद्ध तरीके से नहीं हो पायेगा. जिस तरह से प्रदेश का आकार है और यहाँ पर भ्रष्टाचार ने अपनी सभी सीमाओं को तोड़ डाला है तो उसके अनुसार शिकायतें भी आनी ही हैं जिसके लिए इस कार्यालय को जल्दी ही तैयार होना पड़ेगा. कुछ ऐसी व्यवस्था भी होनी चाहिए जिससे इन आने वाली सभी शिकायतों पर समय से कार्यवाही की जा सके. प्रदेश में जिस तरह से नौकरशाही ने जनता को कुचल रखा है उसके बाद सभी स्तरों पर कुछ ऐसा तो होना ही चाहिए साथ ही इन शिकायतों को ऑनलाइन करने का विकल्प भी होना चाहिए क्योंकि प्रदेश के आकर को देखते हुए हर जगह का नागरिक यहाँ तक शिकायत करने नहीं आ सकता है और इस तरह की व्यवस्था में शिकायत को प्रथम दृष्टया सही पाए जाने पर इसकी पूरी जांच लोकायुक्त कार्यालय द्वारा की जानी चाहिए.
      अब समय आ गया है कि जनता को भी अपने आस पास चलने वाली इस तरह की गतिविधियों पर नज़र रखनी चाहिए जिससे समय रहते हुए ही इन लोगों पर शिकंजा कसा जा सके. अब जनता को निर्भीक होना ही होगा और पता नहीं कब किसे कुछ गड़बड़ दिख जाये तो हम सभी को इस तरह की स्थिति के लिए ख़ुद को भी तैयार करना ही होगा क्योंकि जनता के जागे बिना लोकतंत्र में कोई भी काम सही रास्ते पर नहीं चल सकता है. अब इन नेताओं और नौकरशाहों को यह बताने का समय फिर से आ गया है कि लोकतंत्र में जनता ही सर्वोच्च है और इसके दबाव में न रहने वाले को एक दिन जनता को कोप को सहना ही पड़ेगा. साथ ही सभी को पूरी तरह से जागरूक भी होना होगा क्योंकि हमारे सचेत हुए बिना अब कुछ भी सही नहीं चलने वाला है और हम देश को लूटने केलिए इन लोगों के हाथों में नहीं सौंप सकते हैं.          
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