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शुक्रवार, 5 दिसंबर 2008

एन एस जी और नेता ?

आज जिस तरह से आतंकवाद का चेहरा इस देश में दिखायी दे रहा है उससे एक बात हर भारतीय के मन में आती है की जब इतनी विषम परिस्थिति है तो भी आख़िर नेता कुछ ठीक से क्यों नहीं सोच पा रहे हैं ? इन तुच्छ नेताओं को इस बात से कोई मतलब नहीं की किस जगह कितने लोग इस आतंक की भेंट चढे जा रहे हैं. जब देश में चार जगह पर एन एस जी की उपस्थिति की बात की जा रही है तो यह क्यों नहीं सोचा जाता कि नेताओं को बचाने में इस देश के सर्वोत्तम बल की आवश्यकता क्यों है ? जब इन नेताओं को ही सारे फैसले लेने हैं तो ये अपने और संसद के लिए एक अलग बल ही बना लें और इस एन एस जी को अपनी घटिया सेवा से मुक्त ही रखें. एक बात और होनी चाहिए कि अगर बहुत ही आवश्यक है तो प्रधानमंत्री और कुछ चुने अन्य लोगों के लिए ही इस बल का प्रयोग किया जाए. लगभग हर प्रदेश के पास अपनी ए टी एस है तो क्या वह इन नेताओं की सुरक्षा नहीं कर सकती ? आख़िर एन एस जी के लोग भी तो किसी ना किसी बल से ही आते हैं तो फिर राज्य इतने बुरे क्यों हैं कि हर बात में उन्हें केवल एन एस जी ही चाहिए होती है ? आज हम जनता को ही इस बात का भी दबाव बनाना होगा कि इस तरह के तंत्र का दुरूपयोग ये नेता ना कर सकें. मुंबई के बाद हमें चुप नहीं रहना है हर उस बात पर हमें यह सवाल पूछना ही है कि आख़िर इन नेताओं को देश में हर चीज़ क्यों चाहिए ? आज एन एस जी की स्थिति ऐसी हो गई है कि लोग उसके साथ चलने में अपना रौब समझते हैं. आज यह तय ही होना चाहिए कि हर राज्य अपने को मज़बूत करे और अगर उसे आवश्यकता है तो एन एस जी के लोग विशेष रूप से उन बालों को तैयार करने में मदद करें. एक घटिया से नेता के लिए देश के सर्वोत्तम बल का इस्तेमाल मेरी समझ से परे है और आज यह भी तय होना ही चाहिए कि अब और नहीं..... हर स्तर पर हम तैयार रहें इस आतंकवाद को मुंह तोड़ उत्तर देने को और इन नेताओं को फिर से जन सेवक बनने के लिए मजबूर करने के लिए.