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गुरुवार, 8 जनवरी 2009

नेता तुम पर थू है

आज के युग में राजनीति कितनी घटिया हो चुकी है इस बात का उदाहरण उत्तर प्रदेश के घटिया मंत्री अवध पाल के बयान से हो जाता है. आज के युग में नेता एक ऐसा प्राणी हो चुका है जो अपने हित के लिए अपने बाप का नाम भी बदल सकता है. क्या इन अवध पालों या तुच्छ मानसिकता वाले नेताओं से हमारे महापुरुषों की मर्यादा कम हो सकती है ? ये अपनी औकात बता रहे हैं कि इनको किस तरह का राजनैतिक विद्वेष सिखाया जा रहा है ? इन सभी को तो राष्ट्रिय महापुरुषों के अपमान के आरोप में पदों से हटा दिया जाना चाहिए. जब बहुजन सर्वजन की बातें करते हैं तो हँसी आती है क्योंकि खुलेआम जिस तरह से इन्होंने अमर्यादित आचरण किया है वैसा शायद ही किसी और ने किया हो. फिर भी देश में लोकतंत्र है और इन महापुरुषों ने लोकतंत्र को प्राथमिकता देकर स्वयम गाली खाने का सामान मूर्खों को दे दिया है. जो राजनीति में भी इस तरह का विद्वेष रखे उससे किसी तरह की समरसता की बात करना ही उचित नहीं है. फिर भी लोकतंत्र की सबसे बड़ी बात यह है की यही नेता एक दिन फिर जनता के तलवे चाटने को मजबूर होते हैं इस बार इनको भी पता चल जाएगा कि अब जनता घरों में नहीं रहती वह तो भारत की आत्मा है और हर दिल में बसती है.

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