मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 7 अप्रैल 2009

जय हो.... भय हो .....

आज कल वोटों के लालच में नेता कितने नीचे जा रहे हैं यह देख कर सिर शर्म से झुक जाता है। पहले वरुण का मामला चल ही रहा था कि कल लालू भी अपने रंग में दिखाई दिए। एक जन-सभा में जिस तरह से उन्होंने वरुण पर रोलर चलाने की बात कही वह बहुत ही आपत्ति जनक है। वरुण को अभी राजनीति में आए कितने दिन हुए हैं पर लालू से इस बात की आशा तो की ही जाती है कि वोट मांगते समय वे ऐसा कुछ नहीं कहेंगें। लालू जैसे नेताओं ने आपातकाल की यातनाएं देखी हैं और उनको अपने ऊपर सहा भी है। यदि इसी तरह से सभी नेता वरुण को कुछ कहने लगे तो उन्हें कट्टर पंथी तुंरत लपक लेंगें और भविष्य में एक युवा नेता की राय जो देश के काम आ सकती थी केवल एक समूह की आवाज़ बनकर रह जायेगी। निंदा करने की यह कौन सी शैली है कि शिष्टाचार के सामान्य नियमों की भी अवहेलना कर दी जाय ? आख़िर लालू जैसे नेताओं की क्या मजबूरी है कि वे वरुण के बयान को तूल देना चाहते हैं ? शायद कहीं उनके वोटर यह सुनकर उन्हें वोट देते हों कि उन्होंने इस तरह की बात करने वालों के बारे में क्या कहा है ? पर देश ऎसी बातों से कमज़ोर होता है भले ही एक चुनाव में किसी को जीतने का जुगाड़ मिल जाए।
वरुण ने जो कहा वह अवांक्षित था पर लालू ने जो कहा वह वरुण को नेता बना देता है कि इतने पुराने नेताओं के पास मुद्दे ही नहीं हैं तभी वे जनता का ध्यान इन छिछोरे बयानों की तरफ़ ले जाने का प्रयास करते हैं। वर्तमान में लालू के लिए कांग्रेस ने भी मुसीबत कर दी है उन्हें लगता है कि उनके कुछ मुस्लिम वोट अब कांग्रेस की तरफ़ भी जा सकते हैं बस यहीं से अपने वोट बचाने के लिए लालू तुंरत रोलर पर सवार होकर कुचलने के लिए आगे आ जाते हैं। लालू ने रथ यात्रा के समय अडवाणी को नेता बना दिया था जिसके बाद पूरे भारत में भाजपा ने अपने पाँव पसारे थे अब लगता है कि यही लोग वरुण को भी बिना मुद्दों के नेता बना कर ही छोडेंगें। देश का दुर्भाग्य है कि कोई हाथ काट कर और सिर कलम कर वोट के जुगाड़ में लगा है तो कोई रोलर पर सवार होकर यही करना चाहता है। कोई यह नहीं देखना चाहता कि इस तरह से भारत की आत्मा, लोकतंत्र की भावना, उद्योगों की साधना, युवा शक्ति के प्रयास पर कितनी आसानी से पानी फिर जाया करता है... जब ऐसे होंगें भारत भाग्य विधाता तो कैसे हम सुख की कामना कर सकते हैं ? "जय हो" लोक तंत्र की और "भय हो" इसका चीर- हरण करने वालों से....
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

1 टिप्पणी:

  1. ... जब ऐसे होंगें भारत भाग्य विधाता तो कैसे हम सुख की कामना कर सकते हैं ?
    बिल्‍कुल सही कहा ।

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