मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 6 अप्रैल 2009

जनता क्या करे ?

आज जब देश पूरी तरह से चुनाव के रंग में रंग हुआ है तो एक बात फिर से याद आती है कि आख़िर कब तक हम वोटरों के सामने अच्छा चुनने का विकल्प नहीं आएगा। आज तो हमारे पास एक ही चारा है कि किसी एक उम्मीदवार को वोट दें । मेरे विचार से यह बहुत ही अच्छा हो यदि एक विकल्प ऐसा भी हो जिससे हम सभी उम्मीदवारों को वोट देने से मना कर सकें। आज जिस तरह से ये नेता हमारे सामने नत-मस्तक हुए जा रहे हैं कल ये धूल उडाते हुए निकल जायेंगें और इनमें से अगर कोई मंत्री बन गया तो फिर तो टी वी पर ही उनके दर्शन होंगें। कितना अच्छा हो यदि हमारे पास उम्मीदवार/उम्मीदवारों को नकारने का विकल्प भी हो ? इस से न केवल ग़लत लोगों पर अंकुश लग सकेगा वरन किसी पार्टी द्वारा लालच वश किसी नाकारा आदमी को खड़ा किए जाने पर भी वोटर उसे नकार सकेंगें। राजनीति में शुचिता की बातें तो बहुत लोग करते हैं और जब ये लोग सार्वजानिक मंच पर होते हैं तो इनसे अच्छा कोई नहीं होता पर व्यक्तिगत जीवन में ये सभी कितनी गिरी हुई हरकत करने से भी बाज़ नहीं आते हैं ? क्या जनता के पास इनको रोकने का कोई हथियार है ? नहीं !! जब तक चुनाव सुधार ठीक से लागू नहीं किए जाते यह सम्भव नहीं होगा। कुछ लोग कह सकते हैं कि कोर्ट ने इस बारे में तय कर रखा है और संजय का केस इसका उदाहरण है पर मात्र एक से काम नहीं चलेगा हमें तो पूरे के पूरे ही साफ़ सुथरे लोग चाहिए। खैर अब जिस तरह से युवा वोटर्स की संख्या बढ़ी है उससे यह उम्मीद की जा सकती है कि आगे कुछ सुधार भी होंगें और शायद दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र तब सबसे पवित्र लोकतंत्र भी हो जाएगा।
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

3 टिप्‍पणियां:

  1. आशुतोष जी, आपका विचार बिलकुल सही है. मतदाता के पास विकल्प जरूर होना चाहिए. आपको जानकर ख़ुशी होगी कि ऐसा विकल्प उपलब्ध करने की दिशा में निर्वाचन आयोग कदम बढा चुका है. अब आपको निराश होकर घर बैठने की आवश्यकता नहीं है.
    आने वाले चुनावों में वोट जरूर डालें. यदि आप को लगता है कि कोई भी उम्मीदवार आपकी आशाओं को पूर्ण करने में सक्षम नहीं है तो कृपया सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद पीठासीन अधिकारी को अपनी मंशा से अवगत करा दें तथा इस आशय हेतु अपना नाम दर्ज करा दें.

    २००९ के आम चुनाव हेतु निर्वाचन आयोग ने सभी निर्वाचन अधिकारियों तथा पीठासीन अधिकारियों को यह निर्देश दिए हैं कि वे औपचारिकतायें पूरी करने के बाद मतदान से इनकार करने वाले वोटरों की सूची बनायें तथा आयोग को भेजें ताकि उनका उपयोग "नकारात्मक मतदान के अधिकार" हेतु सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के पक्ष में किया जा सके. इस याचिका की सुनवाई आम चुनावों के बाद होनी है.

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  2. जनता तो बेवकूफ बनने के लिए ही होती है। जब त‍क वह जागती नहीं, ऐसे ही बेवकूफ बनती रहेगी।
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    तस्‍लीम
    साइंस ब्‍लॉगर्स असोसिएशन

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