आज बहुत दिनों के बाद केन्द्र में एक ऐसी सरकार का गठन होने जा रहा है जो बहुत तरह के अनावश्यक दबावों से मुक्त होगी। वास्तव में पिछले २० वर्षों में यह पहली सरकार होगी जो अपने काम को करने के लिए हर समय दूसरों पर निर्भर नहीं होगी। भारत लोकतान्त्रिक देश है पर यहाँ पर बहुत बार ऐसा भी होता है कि दलों का चरित्र सत्ता में रहने पर कुछ और होता है और विपक्ष में होने पर कुछ और।
आज देश को आवश्यकता है कुछ बुनियादी मुद्दों को हल करने की .... जैसे देश बहुत बड़े ऊर्जा संकट में फंसा हुआ है, देश में प्राकृतिक आपदाओं के समय सही ढंग से काम करने वाला तंत्र भी अभी तक नहीं है, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, सार्वजनिक परिवहन की दुर्दशा ने सड़कों पर छोटी गाड़ियों की भीड़ कर दी है। क्या कुछ ऐसा नहीं हो सकता कि सारे नेता और पार्टियाँ अपना मत इन राष्ट्रीय मुद्दों पर दें और देश के विकास के लिए इन चुने हुए विषयों पर एक राष्ट्रीय नीति बना कर काम किया जाए। संसद में केवल एक दूसरे की टांग न खींची जाए बल्कि इन सहमति और विकास के मुद्दों के लिए एक समिति हो जो कि सर्वदलीय हो और जो पहले लिए गए निर्णयों पर हुए काम की समीक्षा का भी हक रखे। इस समिति में राज्य सभा के सदस्य भी होने चाहिए जिससे लोकसभा चुनाव के समय भी यह समिति काम करती रह सके।
आज समय है कि हम अपनी प्राथमिकतायें तय करने के स्थान पर देश के नेताओं से देश की प्राथमिकताएँ तय कर लें जिससे देश का समुचित विकास सुनिश्चित हो सके। देश चलाने का हक तो सत्ताधारी दल के पास ही होगा पर विपक्ष के लोगों को भी बड़े फैसलों में शामिल किया जाना चाहिए। हमारा लोक तंत्र बहुत परिपक्व हो गया है इस बात को प्रमाणित करने की आवश्यकता नहीं है पर अब समय है कि देश के लिए सोचा और किया जाए।
जनता पूरा दबाव बना सकती है यह हम सभी २६/११ के बाद देख ही चुके हैं तो बस अब आवश्यकता है कि कुछ ठोस किया जाए जिससे हम देश की समस्याओं को कम कर सकें.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
बहुत अच्छा हुआ देश के हित में.
जवाब देंहटाएं