पिछले १५ महीने से एक शख्स ने सीतापुर- लखीमपुर जिले के पिछड़े इलाके की सीमाओं में एक नवयुवक ने दस्तक दी है जो इतनी कम उम्र में भारत सरकार में राज्यमंत्री का पद प्राप्त कर चुका था जो कि उसके सुनहरे भविष्य की आहट तो थी ही। जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ राजीव गाँधी के राजनैतिक सलाहकार कुंवर जीतेंद्र प्रसाद के सुपुत्र जितिन प्रसाद की। लोकसभा परिसीमन के बाद उनकी परंपरागत शाहजहांपुर लोकसभा सीट आरक्षित हो गई। बस यहीं से गांजर की तकदीर बदल गई। गांजर शब्द का प्रयोग शारदा नदी की तराई में आने वाले भाग के लिए किया जाता है। नेपाल से आकर शारदा और उसकी सहायक नदियाँ जिस तरह से तहलका मचाती हैं वह गांजर का हर शख्स जानता है। पिछले वर्ष जब कोसी की बाढ़ ने देश दुनिया का ध्यान खींचा तो बिना किसी ताम झाम के जितिन का काफिला हर उस व्यक्ति तक पहुंचना चाह रहा था जो शारदा की बाढ़ में कहीं भी फंसा हुआ था। दोनों जनपदों में विकास के नए आयाम स्थापित करते हुए जितिन ने बेहजम में इस्पात कारखाने की नींव भी रखी और जिसमें अब तेज़ी से काम चल रहा है। सीतापुर लखीमपुर को जोड़ने वाले सभी मुख्य मार्गों को केंद्रीय सड़क निधि से उच्चीकृत किया जा रहा है यह तो कुछ एक काम हैं जिनको मैं यहाँ पर बता पा रहा हूँ अगर किसी को जितिन के काम करने का ढंग देखना और सुनना हो तो उनके निर्वाचन क्षेत्र धौरहरा में आ कर लोगों से सुन ले।
आज तक पिछले कुछ सालों से उ० प्र० जिस तरह से विकास में पिछड़ रहा है तो क्यों नही हम जितिन जैसा नेता चाहेंगें जो सद्भाव से काम करता है कोई नारे नहीं कोई दिखावा नहीं बस केवल सही काम से मतलब और कुछ भी नहीं। जिसको मूर्तियाँ लगवानी है वो लगवाता रहे पर प्रदेश के विकास के लिए नेता चुने जाते हैं तो विकास दिखाई भी देना चाहिए। क्या प्रदेश को विकास की आंधी में झोंकने के लिए कोई और है ? मुझे तो नहीं दिखाई देता पर एक सोच के साथ अगर जितिन है तो मैं चाहता हूँ कि नई पीढ़ी के नेता जुट कर प्रदेश को आगे बढायें तभी भारत विकसित होगा क्योंकि देश की सबसे बड़ी आबादी को विकास से दूर रखकर देश को आगे बढ़ने का कोई भी प्रयास सफल नहीं हो पायेगा। मैं यह बात पहले भी कह सकता था पर तब तक उनके काम को कसौटी पर कसा नहीं गया था और अब परिणाम सबके सामने है.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
आज तक पिछले कुछ सालों से उ० प्र० जिस तरह से विकास में पिछड़ रहा है तो क्यों नही हम जितिन जैसा नेता चाहेंगें जो सद्भाव से काम करता है कोई नारे नहीं कोई दिखावा नहीं बस केवल सही काम से मतलब और कुछ भी नहीं। जिसको मूर्तियाँ लगवानी है वो लगवाता रहे पर प्रदेश के विकास के लिए नेता चुने जाते हैं तो विकास दिखाई भी देना चाहिए। क्या प्रदेश को विकास की आंधी में झोंकने के लिए कोई और है ? मुझे तो नहीं दिखाई देता पर एक सोच के साथ अगर जितिन है तो मैं चाहता हूँ कि नई पीढ़ी के नेता जुट कर प्रदेश को आगे बढायें तभी भारत विकसित होगा क्योंकि देश की सबसे बड़ी आबादी को विकास से दूर रखकर देश को आगे बढ़ने का कोई भी प्रयास सफल नहीं हो पायेगा। मैं यह बात पहले भी कह सकता था पर तब तक उनके काम को कसौटी पर कसा नहीं गया था और अब परिणाम सबके सामने है.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
आपने जो हेडर लगाया है वो तो, बड़ी लंबी लड़ाई मांगता है। लेकिन, अच्छा है समझदार पढ़े-लिखे नौजवान राजनीति को ईमादारी से अपना रहे हैं।
जवाब देंहटाएंजी हाँ हर बड़ी लडाई की शुरुवात छोटे स्तर से ही होती है.
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