मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 4 जून 2009

लेडीज स्पेशल

आजकल सोनी पर आने वाला धारावाहिक लेडीज स्पेशल वैसे तो साधारण सा ही लगता है परे उसमें जिस तरह से महिलाओं के मन के द्वंद को दिखाया गया है वह बहुत ही सटीक है। महिलाएं अपने परिवार के लिए पता नहीं क्या क्या करती रहती हैं ? सारे रिश्तों को एक कच्चे से दिखने वाले धागे से ही तो बांधे रहती हैं पर वह सारा कुछ इतना मज़बूत होता है की अधिकतर स्वार्थ में डूबे पुरूष उस को समझ ही नहीं पाते हैं। महिलाएं इस समाज का हिस्सा हैं और वे कितने त्याग करके तिनके तिनके करके घर को जोड़े रखती हैं। जितनी समस्याओं को वे बिना किसी खीज के आसानी से निपटा लेती हैं अगर वे सब पुरुषों को झेलनी पड़ें तो शायद वे इसमें ही उलझ कर रह जायें। यहाँ मेरे कहने का मतलब यह नही है कि पुरूष यह सब नहीं कर सकते वरन यह सब करने में जिस धैर्य की आवश्यकता होती है सामान्य पुरूष में उतना धैर्य नहीं होता है।
आख़िर क्यों पुरूष यह नहीं समझना चाहते कि महिलाओं की भी ज़रूरतें होती हैं ? उनके सीने में भी एक दिल धड़कता है जिसकी भी कुछ आकांक्षा हो सकती है, पुरूष सदैव से ही इस मानसिकता में पाले पोसे जाते हैं कि उनको तो महिलाओं पर अधिकार ही चलाना है। यह मानसिकता पुरुषों को कितना संवेदनशून्य बना देती है यह देख कर बहुत ही बुरा लगता है।
आज के युग में लोग कह देते हैं कि आजकल लड़कियां बहुत तेज़ होती हैं.... जी नहीं लड़कियां अब तेज़ नहीं होती अब वे केवल अपने महत्त्व को समझने लगी हैं। उन्हें भी पता है कि जब बिना किसी भावना के ही साथ काटना है तो फिर क्यों न अपनी जिंदगी अपनी तरह से ही जी ली जाए ? इसका परिणाम पारिवारिक विघटन के रूप में समाज भुगत रहा है।

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

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