आज से फिर गुर्जर समुदाय महा-पंचायत करने जा रहा है। निश्चित तौर पर पिछले साल उनसे जो कुछ कहा गया था वह पूरा नहीं हुआ तभी तो वे फिर से आन्दोलन की राह पर जाने की सोच रहे हैं । अच्छा हो की इस विषय पर राज्य सरकार सहानुभूति पूर्वक विचार करे और साथ ही समुदाय के नेताओं और लोगों को यह समझाने का प्रयास करे कि उनके बारे में सोचा जा रहा है । हमारे देश में देर से जागने के कारण ही बहुत सारी बातें बिगड़ जाती हैं। लोकतंत्र में हर एक को अपनी बात कहने का हक़ है पर जब इस हक़ का उपयोग दूसरों के हक़ को मारने में किया जाने लगता है तो स्थिति बहुत ख़राब हो जाती है। देश बिना बात की हड़ताल नहीं सह सकता है बस इसलिए ही तो हर बात का समय रहते ही समाधान ढूंढ़ना चाहिए।
सम्भव है कि आरक्षण में बहुत सारी पेचीदगियां हैं जिसके कारण राज्य सरकार अपने दम पर फ़ैसला नहीं ले सकती है पर इसका मतलब यह नहीं होता कि सरकार कोई फ़ैसला लेना ही न चाहे । आज राज्य व केन्द्र में कांग्रेस की सरकारें हैं तो उम्मीद की जानी चाहिए कि इस बार आन्दोलन नहीं होगा और समय रहते किसी उचित समाधान को तलाशा जा सकेगा। गुर्जरों के नेताओं को भी यह समझना चाहिए कि हिंसक आन्दोलन उनके हित में नहीं है और इस तरह से केवल राजस्थान में रहने वाले गुर्जरों के साथ अन्य लोग भी अस्त-व्यस्त जनजीवन से दुखी ही होते रहते हैं।
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
are baap re fir to ye khabar jaldee se jaldee bason aur trakon ke maalikon ko de denee chaahiye kyunki aag mein to wahee jajengee...ham to garjan kee goonj hee sunenge na.........
जवाब देंहटाएंजब गरजने का मौका दिया गया है, तो गरजेंगे ही।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }