मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 13 जून 2009

कहाँ से आयेंगें चिकित्सक ?

आज एक समाचारपत्र में देखा की एक समाचार ऐसा भी था " बायो लेकर 'फँसना' नहीं चाहते छात्र "। आज देश में चिकित्सा शिक्षा की ऐसी दुर्दशा हो गई है जिसे देखकर एक दिन ऐसा दिखाई ही देना था। यदि सारे भारत की बात छोड़ भी दी जाए तो मात्र उत्तर प्रदेश में ही चिकित्सा शिक्षा का क्या हाल है यह किसी से छिपा नहीं है। आरक्षण के कारण प्रवेश वास्तव में मुश्किल हो गया है पर साथ ही इतने बड़े प्रदेश में नए मेडिकल कॉलेज भी नहीं खुल पा रहे हैं जिससे डॉक्टर बनने का सपना लिए हुए बहुत सी आँखे शून्य की ओर ही तकती रह जाती हैं। यह सच है की चिकित्सक ही समाज में ऐसा होता है जो बहुत पढ़ने के बाद भी सबसे बाद में आत्मनिर्भर हो पाता है। सरकार हमेशा से ही रोना जानती है कुछ करना नहीं जब प्रदेश में आबादी के अनुसार मेडिकल कॉलेज नहीं हैं तो प्राथमिकता के आधार पर उन्हें खोलने का प्रयास किया जाना चाहिए। देश के सर्वोत्तम संस्थानों से निकले चिकित्सक देश में रुकना ही नहीं चाहते फिर देश में आम आदमी तक कैसे चिकित्सा पहुँच पायेगी यह सोचने का विषय है।
यूपी पी एम टी मे इस बार २० हज़ार बच्चे कम बैठे ? इस बात को सवाल की तरह पूछा जाए या जवाब की तरह लिया जाए ? जब मूल भूत सुविधाओं का इतना टोटा मचा रहेगा तो कौन इन रास्तों पर चलना कहेगा ? ये सवाल किसी सरकार से नहीं पूछे जा सकते बस इस लिए ही हम जनता को इसके उत्तर ढूँढने होंगें कि किस तरह से सारा कुछ ठीक किया जा सकता है ?
हर एक सरकार संगठन आदि पलायन की बात करते हैं पर कोई भी देश के दूर दराज़ के हिस्सों में रहने वालों की समस्या के बारे में सोचना नहीं चाहता। लखनऊ जैसे महानगर की आबादी पिछले १० वर्षों में बढ़ी है क्या किसी ने उसके बारे में सोचा भी है ? पूरे प्रदेश में राजधानी होने के कारण या अन्य कारणों से यहाँ पर बिजली नहीं जाती है जिससे आस-पास के जिलों में रहने वाले लोग लखनऊ में एक घर का सपना देखते हैं। अच्छा रहन सहन किसे अच्छा नहीं लगता पर विकास की अंधी दौड़ में शामिल होकर कैसे सम्पूर्ण विकास की बात की जा सकती है। देश में संसाधनों की कोई कमी नहीं है यहाँ पर कमी है तो केवल इच्छा शक्ति की जो हमारे रीढ़ विहीन नेताओं में नहीं है।यदि दूर दराज के स्थानों में जीने की मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध करा दी जाए तो कोई अपनी जड़ों से नहीं उखड़ना चाहेगा. नेता तो एक बार चुनाव जीते नहीं कि उनके पास लखनऊ से दिल्ली तक घर हो जाता है कोई भी इन माननीयों से पूछने वाला नहीं कि आप के पास कौन सी जादू की छड़ी है ? बस देश में नागरिक किस तरह से घुट घुट कर जी रहे हैं यह तो अब समाचार भी नहीं बन पाता और हम सब एक चिकित्सा को क्या रोएँ सभी क्षेत्रों में विकास की बाट जोहते हुए समय काट रहे हैं......
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