आज एक समाचार पढ़ा कि सीतापुर के एक वरिष्ठ वकील महोदय ने श्री राम चरित मानस का अखंड पाठ कराया... सरसरी तौर पर तो यह समाचार नहीं बनता पर जब यह पता चलता है कि वे सज्जन इस्लाम को मानने वाले हैं तो लोगों को आश्चर्य भी होता है । वे इस तरह के आयोजन कराते रहते हैं। बात पर विचार किया जाए कि आख़िर क्यों नहीं हम अपने साथ रहें वालों के धर्म को समझने का प्रयास करते हैं ? यह देश विविधताओं का है इसने दुनिया को जो कुछ दिया है वह कोई और नहीं दे सकता है । भारत में जो भी आया यहीं का हो कर रह गया चाहे वो किसी काम से आया हो। किसी मुस्लिम का रामायण करना वह भी आज के समय में वास्तव में एक समाचार बन जाता है और ठीक उसी तरह मुहर्रम के समय कितने हिंदू ताजिये रखते हैं और मन्नतें मांगते हैं यह भी समाचार बन जाता है। काश यह सामाजिक समरसता हर स्तर पर दिखाई दे ऐसी घटनाएँ बड़े स्तर पर होने लगें तो सामाजिक ताना- बाना और भी सुधर कर मज़बूत हो जाएगा। किसी अच्छी बात को समझने में बहुत समय लगता है और चंद लोग जो अपने स्वार्थ के लिए लोगों को लड़ाते भी रहते हैं क्योंकि इससे उनका उल्लू सीधा होता है। सभी धर्मों में सद्भाव पर ज़ोर दिया गया है आज आवश्यकता है कि इन सभी धर्म ग्रंथों को आम जनता की भाषा में प्रकाशित कराया जाए और उन्हें इनके मूल भाव को समझाने का प्रयास किया जाए।
चंद धर्म के ठेकेदार धर्म के नाम पर कुछ खास रंग के कपड़े पहन कर लोगों को डराते रहते हैं, यह तब तक चलता रहेगा जब तक हम सभी धर्म के मूल को नहीं समझेंगें। धर्म व्यक्तिगत मामला है फिर हमारे और ईश्वर के बीच किसी दलाल की आवश्यकता क्यों ? हाँ कुछ अनुष्ठान आदि स्वयं नहीं किए जा सकते हैं तो उनके लिए उसके पारंगत लोगों की ज़रूरत होती है। हमें दूसरों का आदर करना सीखना होगा तभी हम अपने लिए आदर प्राप्त कर सकेंगें।
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
बिलकुल ठीक...ऐसे आयोजन होते रहने चाहिए..!हमारे यहाँ बीकानेर में हिन्दू मुस्लिम सहयोग देखते ही बनता है..!आयोजन कोई भी हो दोनों पक्ष बढ़ चढ़ कर भाग लेते है..जिससे सोहार्द बना रहता है...
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