एक ख़बर .... "पहले नमस्ते की फिर लूट लिया" अब तो लगता है कि किसी की नमस्ते का उत्तर भी सोच कर देना पड़ेगा... दिल्ली से सटे गाजियाबाद के कौशाम्बी में दो मोटर साईकिल सवार लुटेरों ने एक बुजुर्ग को लूट लिया... लूट कि घटनाएँ तो होती ही रहती हैं पर इस तरह से लूटना..... कि लूट में भी इज्ज़त देने की बात ? सबसे बड़ी बात तो यह कि जब आप किसी से अभिवादन कर लेते हो तो वह व्यक्ति आप की तरफ से निश्चिंत हो जाता है कि ये तो कोई जानने वाला ही होगा। उन बुजुर्ग का ध्यान बांटते हुए वे उचक्के उनसे ४७ हज़ार रूपये लेकर भाग गए। इस तरह की घटनाएँ एक बार फिर से बाबा भारती वाली कहानी की ही याद दिला जाती हैं। क्या अब सड़क पर चलते हुए किसी से नमस्ते भी करना खतरे को दावत दे सकता है ? मेरे एक परिचित जो भारत संचार निगम लिमिटेड में कार्यरत हैं ३ साल पहले कुछ इसी तरह के नाटक में लूट लिए गए थे । मोटर साईकिल से जाते समय सिर पर बोझ लादे हुए एक व्यक्ति ने उनके पास पहुँचते ही वह सामान उनके ऊपर फ़ेंक दिया वह बहुत धीमी गति से थे फिर भी उनके गिरने से एक हड्डी टूट गई उनका मोबाइल कुछ रूपये आदि लूट कर लुटेरे आराम से उनकी बाइक भी ले गए। अब क्या गाँव में रहने वाला कोई व्यक्ति यह भी सोच सकता है कि सिर पर बोझा लादे व्यक्ति भी कभी समस्या खड़ी कर सकता है ? अब तो यह देखना ही होगा कि हम किस तरह से सुरक्षित रह सकते हैं..... हमें ध्यान देना ही होगा कि बुजुर्ग लोग बैंक आदि का काम कम ही करें हालांकि यह सम्भव नहीं है पर इस बात की भी तो पक्की नहीं है कि नौजवान सुरक्षित हैं... ? पूरी व्यवस्था ही इस तरह से घुन चुकी है कुछ बेरोज़गारी और कभी छोटे रास्ते से जल्दी अमीर बनने की चाह..... बस यह सब ही तो समाज में समस्या खड़ी कर रहा है...
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
मेरी हर धड़कन भारत के लिए
जवाब देंहटाएंअब बात पुरानी है
मेरी हर धड़कन लूट के लिए
नए भारत की जवानी है