दो दिन पहले उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक कार्यालय से एक आदेश जारी किया गया है जिसमें कहा गया है की किसी भी माननीय का अनावश्यक दबाव मानकर ग़लत कार्य न किए जाए ?दबाव पड़ने पर अधिकारी बाकायदा एक फॉर्म पर अपनी शिकायत लिख कर भेजें.. इस बात के दो अर्थ निकल सकते हैं एक यह की अभी तक पुलिस दबाव में ग़लत कार्य करने में भी संलग्न थी ? दूसरा कि चाहे जो कुछ हो जाए अपने कर्तव्य का पालन किया जाए ?
आज के समय में प्रशासनिक कार्यों में जिस तरह से माननीयों का दखल बढ़ता जा रहा है तो यह कैसे कहा जा सकता है कि अब सब ठीक ही होगा ? थानों में पोस्टिंग से लगाकर वसूली तक के पैसे मांगें जाने की खबरें रोज़ ही अख़बारों में दिखाई देती हैं। प्रशासनिक अधिकारी यदि स्वयं ही माननीयों की गणेश परिक्रमा करना बंद कर दें तो इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है पर क्या कोई भी कुछ कहने करने की स्थिति में है ? या कोई कुछ करना भी चाहता है ? यह नहीं है कि पुलिस तंत्र नाकारा और भ्रष्ट है पर यह भी नहीं है कि सारे ही इमानदारी से अपना कर्तव्य कर रहे हों ? बात नए आदेशों की नहीं वरन उन पर अमल करने की है ... जनता को केवल सुरक्षा चाहिए जिसमें वह वास्तव में गुंडों की छाती पर चढ़ जाए और समाज में शान्ति रह सके...
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
आपकी नेक नीयत की दाद देते हैं !
जवाब देंहटाएंअपने आस-पास के प्रति
जवाब देंहटाएंआपकी सोच मननीय है.
---मुफलिस---